नई दिल्ली (हरमीत): भारत में गेहूं के सरकारी भंडारण की स्थिति वर्तमान में बेहद चिंताजनक हो गई है। पिछले 16 वर्षों में यह पहली बार है जब भंडारण स्तर इतना कम हो गया है, जो कि महज 75 लाख टन है। इसका प्रभाव सीधा आम उपभोक्ता पर पड़ने वाला है, क्योंकि इसके चलते आटा महंगा हो सकता है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के आंकड़ों के अनुसार सरकारी गोदामों में संग्रह किए गए गेहूं का स्टॉक 16 सालों के निचले स्तर पर जा पहुंचा है। अप्रैल की शुरुआत में गेहूं का भंडार 7.5 मिलियन टन (75 लाख टन) के स्तर पर आ गया, जो एक साल पहले के 8.35 मिलियन टन (83.5 लाख टन) से काफी कम है। यह स्थिति भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
बताया जाता है कि स्टॉक में यह कमी गेहूं के मूल्य स्थिर रखने के लिए खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं बेचने का निर्णय लेने की वजह से आई है। अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि अगर मौजूदा सीजन में गेहूं की पर्याप्त मात्रा में खरीद नहीं हो सकी। जिस के चलते गेहूं की कीमतें पिछले एक वर्ष में 8% बढ़ी हैं, और पिछले 15 दिनों में ही इनमें 7% की वृद्धि दर्ज की गई है। यदि यह ट्रेंड जारी रहता है, तो अगले 15 दिनों में यह और 7% बढ़ सकती है।