मुजफ्फरनगर (राघव): कांवड़ मार्ग पर ढाबा, दुकान या ठेलों पर मालिक का नाम प्रदर्शित करने के निर्देश को सियासी घमासान के बीच खानपान की दुकानों, ढाबों पर बदलाव शुरू हो गया है। दिल्ली-देहरादून पर रामपुरी के निकट सलीम 25 साल से संगम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय का संचालन कर रहे थे। कांवड़ यात्रा के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन ने दुकानदारों से अपनी पहचान लिखने को कहा तो यहां अब सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय का बोर्ड लग गया।
सलीम ने खाद्य सुरक्षा विभाग में पंजीकरण में भी अपना नाम परिवर्तित कर दिया है। ऐसा बदलाव कांवड़ मार्ग में पड़ने वाली तमाम दुकानों-ढाबों और ठेलों पर दिखने लगा है। ढाबा संचालक सलीम का कहना है कि नाम व पहचान उजागर करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी और एसएसपी अभिषेक सिंह का कहना है कि कांवड़िये अपने खानपान में कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं। ऐसे में कांवड़ियों के भ्रमित होने पर कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। श्रद्धालुओं की आस्था के दृष्टिगत होटल, ढाबा संचालकों से आग्रह किया गया है कि वह मालिक और काम करने वालों का नाम प्रदर्शित करें। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल जिंदल का कहना है कि पहचान उजागर करना पूरी तरह ठीक है, किसी भी दिशा में गैरकानूनी नहीं है। क्योंकि इससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती हैं और न किसी के अधिकारों का हनन है। वहीं, गुरुवार को जल लेकर गंतव्य की ओर बढ़ रहे गुरुग्राम के कांवड़िया हिमांशु और पलवल निवासी सुमित ने इस कदम को उचित ठहराया है। उनका कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान कोई भी शिवभक्त प्याज तक नहीं खाता है। होटल और ढाबे का संचालन करने वाले का नाम स्पष्ट लिखा होना ही चाहिए।इसी तरह छपार में श्री राधे राधे वैष्णो ढाबा संचालक राकेश कश्यप और श्री कृष्णा ढाबा संचालक ऋषभ सैनी उर्फ गुल्लू का कहना है कि नाम लिखने की बात पूरी तरह सही है। पहचान उजागर होनी ही चाहिए। दिल्ली-देहरादून हाईवे स्थित नेक्स्ट काफी के संचालक वसीम कहते हैं कि नाम खोलने पर हमें कोई आपत्ति नहीं है। जब कुछ गलत किया नहीं तो नाम लिखने, बताने में आपत्ति क्यों होगी?