नई दिल्ली (राघव): ब्याज दरों में कमी करने वालों का इंतजार और लंबा हो सकता है। विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि इस सप्ताह होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में भी आरबीआई रेपो रेट को एक बार फिर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रख सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती करने से पहले अधिक व्यापक आर्थिक आंकड़ों का इंतजार कर सकता है। एमपीसी की बैठक 6-8 अगस्त तक होगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास आठ अगस्त को एमपीसी के फैसलों की जानकारी देंगे। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बीते सप्ताह हुई बैठक में अपनी ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया है। साथ ही संकेत दिया है कि आने वाले महीनों में मौद्रिक नीति में ढील दी जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई का दबाव बने रहने के बीच आरबीआई ब्याज दर पर अपना रुख बदलने से पहले अमेरिकी मौद्रिक नीति पर बारीकी से नजर रखेगा।
एमपीसी भी दर में कटौती से परहेज कर सकती है। इसका कारण यह है कि भले ही ब्याज दर 6.5 प्रतिशत (रेपो रेट) तक बढ़ा दी गई हो, लेकिन आर्थिक वृद्धि अच्छी बनी है।बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने उम्मीद जताई है कि आगामी नीतिगत समीक्षा में आरबीआई यथास्थिति बनाए रखेगा। महंगाई आज भी 5.1 प्रतिशत के उच्चस्तर पर बनी हुई है और आने वाले महीनों में इसमें संख्यात्मक रूप से कमी आएगी, लेकिन आधार प्रभाव के कारण यह अधिक बनी रहेगी। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में उच्च वृद्धि, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत की महंगाई के साथ मिलकर यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में रुख बना रही है। उन्होंने कहा कि अगस्त की बैठक में रुख में बदलाव या दर में कटौती की गुंजाइश नहीं लग रही है।