नागपुर (राघव): महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहली ही वहां राजनीति चरम पर पहुंच गई है। अजित पवार गुट के नेताओं के शरद पवार से मिलने के बाद कई अटकलें भी लगने लगीं थी। इस बीच एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगने ने आज दावा किया कि वो शरद पवार को छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन एक मजबूरी के चलने वो अजित गुट में गए। एनसीपी विधायक ने दावा किया है कि जिस सहकारी बैंक से वे जुड़े थे, उसमें दिक्कतें आने के कारण उन्हें पिछले साल पार्टी में विभाजन के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का साथ देना पड़ा। अजित पवार और कई अन्य विधायक पिछले साल राज्य में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, जिसके कारण शरद पवार द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन हो गया था।
शिंगने ने शनिवार को वर्धा में एक कार्यक्रम में एनसीपी (सपा) प्रमुख शरद पवार के साथ मंच साझा किया। कार्यक्रम के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बुलढाणा जिले के सिंदखेड राजा का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक ने कहा कि उन्होंने हमेशा शरद पवार का सम्मान किया है। शिंगने ने कहा कि उन्होंने करीब 30 साल तक शरद पवार के नेतृत्व में काम किया है और उन्होंने उनके राजनीतिक जीवन में बहुत बड़ा योगदान दिया है और वे हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।