कोलकाता (राघव): कोलकाता की स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के दुष्कर्म व हत्या मामले के बीच आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डा. अख्तर अली ने अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डा. संदीप घोष पर वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रिंसिपल लावारिस लाशों का सौदा करते थे। इसके अलावा कई अनैतिक गतिविधियों में शामिल थे। डा. अख्तर अली ने कथित वित्तीय अनियमितताओं की ईडी से जांच कराने की मांग को लेकर बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज ने याचिका दायर करने की अनुमति दे दी।
अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डा. अख्तर अली इन वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ पहले शिकायतकर्ता हैं। डा. अली ने दावा किया कि संदीप घोष उन लोगों को बायोमेडिकल कचरा बेचते थे जो उनकी अतिरिक्त सुरक्षा का हिस्सा थे। बाद में इसे बांग्लादेश भेज दिया जाता था। इसके अलावा वह हर टेंडर में 20 प्रतिशत कमीशन लेते थे। संदीप घोष छात्रों को जानबूझकर परीक्षा में फेल कर देते थे, फिर पास कराने के लिए उनसे पैसे लेते थे।
अख्तर अली ने दावा किया कि उन्होंने राज्य सतर्कता आयोग को संदीप घोष की कथित अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी दी थी। वह उस जांच पैनल का हिस्सा थे, जिसने संदीप घोष को दोषी पाया था। हालांकि, जिस दिन उन्होंने राज्य स्वास्थ्य विभाग को जांच रिपोर्ट सौंपी, उसी दिन उनका तबादला कर दिया गया। बता दें कि आरजी कर मेडिकल कालेज में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से चार सदस्यीय विशेष जांच दल गठित किए जाने के बाद डा. संदीप घोष के खिलाफ कोलकाता के तालतला पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
डा अली द्वारा मार्च 2023 में अस्पताल में घोर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराने के एक साल से अधिक समय बाद यह प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। हालांकि अख्तर अली का कहना है कि राज्य की एसआइटी से निष्पक्षता से काम नहीं होगा। बल्कि यह विशेष जांच दल संदीप घोष को बचाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा की भी मांग की।