पटियाला (हरमीत) : पंजाबी यूनिवर्सिटी में फर्जी भर्ती और हाजिरी घोटाला करीब 6 साल से चल रहा है। फर्जी हस्ताक्षर करने वाले और रोजाना कैंपस में ड्यूटी पर न आने वाले फर्जी कर्मचारियों के बारे में किसी को भनक तक नहीं लगी। विजिलेंस जांच में पता चला कि सिक्योरिटी सुपरवाइजर ने 2015 में फर्जी भर्ती करने के बाद वर्ष 2021 तक फर्जी हाजिरी जारी रखी।
परिसर में चर्चा है कि इस दौरान ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के ‘उपस्थिति रजिस्टर’ पर हस्ताक्षर व भौतिक सत्यापन नहीं किया गया। अब प्राधिकरण ने ‘वरिष्ठ अधिकारियों’ पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि इस घोटाले को विश्वविद्यालय के किसी भी बड़े अधिकारी ने नहीं पकड़ा।
विजिलेंस जांच में पता चला है कि उसके घर पर काम करने वाली महिला, जिसे सिक्योरिटी सुपरवाइजर ने फर्जी तरीके से भर्ती किया था, वह अनपढ़ थी, जिसके कारण उसे पता नहीं चला कि उसके बैंक खाते से कोई और व्यक्ति पैसे निकाल रहा है।
सितंबर 2015 से जून 2021 तक करीब 65 महीने की सैलरी के तौर पर सुपरवाइजर के बेटे के खाते में 6 लाख 07 हजार 448 रुपये जमा हुए. जबकि घर में काम करने वाली महिला के खाते में दिसंबर 2019 से सितंबर 2021 तक करीब 25 महीने की रकम 2 लाख 56 हजार 624 रुपये थी।
विजिलेंस द्वारा बंद किए गए घर में काम करने वाली महिला के बैंक खाते के विवरण के अनुसार, 19 महीने में कुल राशि 1 लाख 84 हजार 994 रुपये है और जो पर्यवेक्षक के बेटे के बैंक खाते का विवरण है, उसके अनुसार विदेश 69 माह में कुल 6 लाख 37 हजार 615 रुपये बैंक खातों में ट्रांसफर किये गये हैं।