दिल्ली (नेहा): पुलिस ने पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर में स्थित एक नकली वीज़ा निर्माण फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। इस फैक्ट्री पर पिछले पांच वर्षों में भारी मुनाफ़े के लिए नकली वीज़ा बनाने का आरोप है। पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है और बड़ी मात्रा में नकली वीज़ा, पासपोर्ट, और उपकरण ज़ब्त किए हैं। पुलिस का कहना है कि गिरोह ने अब तक 1,800 से 2,000 नकली वीज़ा बेचे हैं, जिनकी प्रत्येक की कीमत 8 लाख से 10 लाख रुपये थी। इसके अलावा, गिरोह ने रेजीडेंसी कार्ड और अन्य दस्तावेज़ भी तैयार किए थे। अनुमान है कि इस गिरोह ने पिछले कुछ वर्षों में लगभग 100 करोड़ रुपये की कमाई की है।
डीसीपी (एयरपोर्ट) उषा रंगनानी ने जानकारी दी कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड 51 वर्षीय मनोज मोंगा है, जो अपने घर से इस “फैक्ट्री” का संचालन कर रहा था। डीसीपी ने बताया कि गिरोह हर महीने करीब 30 नकली वीज़ा तैयार करता था और मोंगा का दावा था कि वह 20 मिनट में वीज़ा स्टिकर तैयार कर सकता है। गिरोह ने स्थानीय एजेंटों के जटिल नेटवर्क की मदद से इस नकली वीज़ा फैक्ट्री को चलाया और संचार के लिए टेलीग्राम, सिग्नल और व्हाट्सएप का उपयोग किया। विभिन्न राज्यों में फैले इन एजेंटों के जाल ने इस रैकेट की गतिविधियों को सुसंगठित रूप से संचालित करने में मदद की।
इस रैकेट का खुलासा 2 सितंबर को हुआ जब आईजीआई एयरपोर्ट पर नकली स्वीडिश वीज़ा के साथ यात्री संदीप को गिरफ्तार किया गया। संदीप ने पुलिस को बताया कि उसने अली, राणा और गौतम को वीज़ा के लिए 10 लाख रुपये का भुगतान किया था, जिन्होंने उसे यूरोप यात्रा की गारंटी दी थी। गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में शिव गौतम, नवीन राणा, बलबीर सिंह, जसविंदर सिंह और आशिफ अली शामिल हैं। पुलिस ने सभी दावों की पुष्टि करने की प्रक्रिया जारी रखी है।