मंडी (नेहा): मंडी की जेल रोड मस्जिद के अवैध निर्माण मामले में मुस्लिम पक्ष को स्थगनादेश मिल गया है। मुस्लिम पक्ष ने 13 सितंबर के निगम आयुक्त न्यायालय के निर्णय को प्रधान सचिव शहरी निकाय व नगर नियोजन के न्यायालय में चुनौती दी थी। अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी। निगम कार्यालय को मामले से संबंधित रिकॉर्ड तीन दिन के अंदर पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। न्यायालय ने यह भी आदेश दिए हैं कि मामले की अगली सुनवाई तक निगम 13 सितंबर के निर्णय पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करेगा। निगम आयुक्त न्यायालय के निर्णय को चुनौती देते हुए एहले इस्लाम मुस्लिम वेलफेयर कमेटी के प्रधान नहिम अहमद ने दावा जताया है कि 1936 के राजस्व रिकॉर्ड में मस्जिद खसरा नंबर 478 में दर्ज थी।
1962 में हुए बंदोबस्त में यह खसरा नंबर 1280, 2216 और 2217 में विभाजित कर दिया गया। तीनों खसरा नंबर का कुल क्षेत्र 300.53 वर्ग मीटर है। खसरा नंबर 2218 से 2221 का कुल रकबा 85.6 वर्ग मीटर है। इन सभी खसरा नंबर को मिलाकर कुल 386.16 वर्ग मीटर क्षेत्र बनता है। इस पर एहले इस्लाम का कब्जा है। मस्जिद 100 वर्ष पुरानी है। मुस्लिम पक्ष ने न्यायालय में कहा कि 2013 में मानसून के दौरान भारी वर्षा से मस्जिद के पुराने ढांचे को क्षति पहुंची थी। पिछले वर्ष अगस्त में हुई वर्षा से मस्जिद का अधिकतर ढांचा गिर गया था। मुस्लिम पक्ष ने आयुक्त न्यायालय के निर्णय को रद्द करने की मांग भी की है।
स्थगनादेश 10 अक्टूबर को हुआ था। निर्णय की कॉपी सोमवार को मिली है। मुस्लिम पक्ष ने निगम आयुक्त कार्यालय का स्थगनादेश की कॉपी प्रदान कर दी है। प्रधान सचिव शहरी निकाय व नगर नियोजन के न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 के धर्मपाल सत्यपाल बनाम आयुक्त सेंट्रल एक्साइज गुवाहाटी के निर्णय का हवाला दिया है। देवभूमि संघर्ष समिति ने मंगलवार को बैठक बुलाई है। स्थगनादेश का अध्ययन करने के बाद प्रधान सचिव शहरी निकाय व नगर नियोजन के न्यायालय के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती देने की रणनीति बनाई जाएगी।