इस्लामाबाद (राघव): पाकिस्तान की राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी प्राधिकरण (NACTA) ने हाल ही में जानकारी दी कि 2021 से अब तक 20 चीनी नागरिक आतंकवादी हमलों में मारे गए हैं और 34 घायल हुए हैं। 10 दिसंबर को नेशनल असेंबली की बैठक में NACTA के निदेशक कर्नल उस्मान ने बताया कि बीते तीन सालों में चीनी नागरिकों पर 14 हमले हुए। इनमें से 8 हमले सिंध में, 4 बलूचिस्तान में और 2 खैबर पख्तूनख्वा में हुए। इन हमलों ने चीन को नाराज कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, चीन अब पाकिस्तान में अपनी सेना या निजी सुरक्षा बल भेजने की योजना बना रहा है। यह कदम पाकिस्तान की सेना के लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकता है, क्योंकि वह चीनी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दावा करती रही है। इस साल जून में पाकिस्तान ने चीन के दबाव में ‘आज़म-ए-इस्तेहकाम’ नाम से एक नया सैन्य अभियान शुरू किया था, लेकिन इसके बावजूद चीनी नागरिकों पर हमले जारी रहे। हाल ही में कराची में दो चीनी इंजीनियरों की हत्या ने चीन को और अधिक नाराज कर दिया। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच ‘संयुक्त सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली’ बनाने की बातचीत शुरू हुई। NACTA के अनुसार, पाकिस्तान में करीब 20,000 चीनी नागरिक रहते हैं, जिनमें से अधिकतर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजनाओं से जुड़े हैं। पाकिस्तान ने इन परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए सेना के दो कोर बल भी तैनात किए हैं। फिर भी, चीनी नागरिकों पर लगातार हमले हो रहे हैं।
2021 के सबसे बड़े हमलों में से एक जुलाई में दासू पनबिजली परियोजना के पास हुआ था, जिसमें 9 चीनी इंजीनियर और 2 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। चीन ने CPEC परियोजनाओं में निवेश धीमा कर दिया है। इसके पीछे मुख्य कारण पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी न मिलना और परियोजनाओं के कारण पाकिस्तान पर बढ़ते कर्ज को लेकर आलोचना है। पाकिस्तान पहले ही चीन से 30% से ज्यादा बाहरी कर्ज ले चुका है और अब अतिरिक्त कर्ज मांगने और पुराने कर्ज के पुनर्निर्धारण की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने हमलों में मारे गए चीनी नागरिकों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर 250,000 अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की है। हालांकि, इसकी सटीकता पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं।