असम में आध्यात्मिकता और धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देते हुए, प्रधानमंत्री ने मां कामाख्या कॉरिडोर के निर्माण की आधारशिला रखी है। इस परियोजना पर 498 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसका उद्देश्य काशी और महाकाल कॉरिडोर की भांति इसे विकसित करना है।
परियोजना का उद्देश्य
इस पहल के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य न केवल आध्यात्मिक जागरूकता और धर्मिक यात्रा को बढ़ावा देना है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करना है। मां कामाख्या मंदिर, जो कि असम के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, इस परियोजना के केंद्र में है।
प्रधानमंत्री के अनुसार, यह परियोजना न केवल धार्मिक पर्यटन को नई उंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि यह आस-पास के क्षेत्र के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
कॉरिडोर की विशेषताएं
मां कामाख्या कॉरिडोर के डिजाइन में आधुनिकता और पारंपरिकता का संगम होगा। यहाँ पर्यटकों के लिए सुविधाजनक सेवाएं और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। इस कॉरिडोर का उद्देश्य पर्यटकों को एक सुगम और आनंददायक यात्रा अनुभव प्रदान करना है।
इस परियोजना के पूरा होने पर, यह उम्मीद की जा रही है कि असम और पूरे भारत में धार्मिक पर्यटन का एक नया अध्याय शुरू होगा। इससे न केवल असम बल्कि पूरे देश की आध्यात्मिक छवि को बढ़ावा मिलेगा।
परियोजना के तहत, मां कामाख्या मंदिर के आस-पास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाएगा और यात्रा के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इससे यात्रियों को न केवल सुविधा होगी बल्कि वे मां कामाख्या के दर्शन के साथ-साथ असम की संस्कृति और परंपरा से भी परिचित हो पाएंगे।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मां कामाख्या कॉरिडोर की निर्माण परियोजना न केवल असम के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए सहयोग की अपील की।
इस प्रकार, मां कामाख्या कॉरिडोर की नींव रखने का कार्यक्रम न केवल असम के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक आध्यात्मिक और आर्थिक उन्नति का प्रतीक बन गया है।