रांची (नेहा): झारखंड हाईकोर्ट में सरकार के विभिन्न स्कूलों में वोकेशनल इंस्ट्रक्टर पद पर नियुक्त हुए हुए कर्मियों के ग्रेड पे को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो माध्यमिक शिक्षा निदेशक को कोर्ट में उपस्थित होना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी। कोर्ट ने निदेशक से पूछा है कि आदेश का अनुपालन नहीं करने पर क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए। इस संबंध में प्रार्थी सुजीत कुमार अन्य की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है।
वर्ष 1993 में प्रार्थियों की विभिन्न स्कूलों में वोकेशनल एजुकेशन इंस्ट्रक्टर के पद पर नियुक्ति हुई थी। केंद्र सरकार के एक अधिसूचना के तहत उनका ग्रेड पे 4800 रुपये कर दिया गया था।
अधिसूचना में यह कहा गया था कि अगर वह (इंस्ट्रक्टर) अहर्ता रखते हैं तो शिक्षकों के समान ही उनका भी ग्रेड पे होगा। लेकिन राज्य सरकार ने उनका ग्रेड पे घटा कर फिर से 4200 रुपये कर दिया था।
कोर्ट ने प्रार्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। राज्य सरकार की अपील भी खारिज हो गई। अब प्रार्थियों ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है, जो अभी लंबित है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की एकल पीठ एवं खंडपीठ से प्रार्थियों के पक्ष में फैसला आया है। इसलिए कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जाए, नहीं तो माध्यमिक शिक्षा निदेशक कोर्ट में सशरीर उपस्थित होंगे। नीमडीह प्रखंड के तिल्ला पंचायत भवन परिसर में सुरेन्द्र नाथ सिंह की अध्यक्षता में आदिवासी सामाजिक संगठनों के बुद्धिजीवियों का संयुक्त बैठक आयोजित की गई।
बैठक में पेसा एक्ट – 1996 पर विशेष चर्चा एवं विचार विमर्श किया गया। आदिवासी संगठन के बुद्धजीवियों की मांग है कि पेसा एक्ट 1996 में निहित मूल 23 प्रावधानों के अनुरूप झारखंड में पेसा नियमावली बने। सभी आदिवासी सामाजिक संगठन के अगुआ गणों द्वारा एक स्वर में कहा गया कि पारंपरिक ग्राम सभा की शक्ति को कमजोर करने वाली नियमावली स्वीकार नहीं किया जा सकता है। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस मुहिम को गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा और लोगों को जागरूक किया जाएगा। अगर सरकार द्वारा पेसा एक्ट 1996 के सभी 23 प्रावधानों के विपरीत नियमावली बनाया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा। जयराम सिंह सरदार, श्यामल मार्डी, निरंजन सिंह सरदार, दिवाकर सोरेन, बाबलू मूर्मू, रविन्द्र सरदार, जगदीश सरदार आदि उपस्थित थे।