जम्मू: जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने के निर्णय पर गुज्जर-बकरवाल समुदाय के एक वर्ग में नाराजगी देखी जा रही है। इसके मद्देनजर, बुधवार को जम्मू में प्रतिबंधात्मक आदेश लागू किए गए और राजौरी और पुंछ के दोहरे जिलों में सुरक्षा कड़ी की गई।
पहाड़ी समुदाय को एसटी दर्जा
लोकसभा ने मंगलवार को संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया, जिसमें चार समुदायों — गड्डा ब्राह्मण, कोली, पद्दारी जनजाति, और पहाड़ी जातीय समूह — को जम्मू और कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में जोड़ने का प्रस्ताव है।
राजौरी और पुंछ में, जहां सुरक्षा को मजबूत किया गया है, मोबाइल इंटरनेट सेवा और सार्वजनिक वाई-फाई सुविधाओं को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के उपाय के तौर पर अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।
इस निर्णय के पीछे का उद्देश्य समाज के इन वर्गों को अधिक अवसर और सुविधाएं प्रदान करना है, जिससे उनका समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। हालांकि, इस कदम ने कुछ समुदायों में विवाद की स्थिति पैदा कर दी है।
अधिकारियों का कहना है कि प्रतिबंधात्मक आदेश और सुरक्षा उपायों का मुख्य उद्देश्य किसी भी प्रकार की हिंसा या अशांति को रोकना है। वे लोगों से शांति बनाए रखने और सद्भावना दिखाने की अपील कर रहे हैं।
इस घटनाक्रम से जुड़े सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्यों की गहराई से समझ के लिए विश्लेषण और चर्चाएं जारी हैं। समुदायों के बीच संवाद और समझौता की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है, ताकि समाज के सभी वर्गों के बीच सामंजस्य और समरसता कायम की जा सके।
अंततः, जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को एसटी दर्जा दिए जाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य समाज के उन वर्गों को सशक्त बनाना है जो विकास की मुख्यधारा से वंचित रहे हैं।