इस्लामाबाद: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, अमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुरुवार को पाकिस्तान में सामान्य चुनावों के दिन मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को पूरे दिन के लिए निलंबित करने के फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा के अधिकारों पर एक “स्पष्ट हमला” बताया।
इंटरनेट पर पाबंदी का विरोध
यूके स्थित इस अंतरराष्ट्रीय अधिकार निगरानी संस्था के दक्षिण एशिया कार्यालय ने पाकिस्तानी अधिकारियों से इंटरनेट तक पहुंच पर लगाए गए सामूहिक प्रतिबंधों को “तुरंत हटाने” का आग्रह किया।
अमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया के अंतरिम उप निदेशक लिविया सकार्डी ने कहा, “चुनाव के दिन दूरसंचार और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा के अधिकारों पर एक स्पष्ट हमला है।”
स्वतंत्रता पर सवाल
इस फैसले को लेकर अमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि यह नागरिकों की मौलिक स्वतंत्रता के खिलाफ एक गंभीर कदम है, जिससे लोकतंत्र की मूल भावना को नुकसान पहुंचता है। इससे पहले भी, विभिन्न देशों में चुनाव के दौरान इस तरह के कदम उठाए गए हैं, लेकिन पाकिस्तान में इसकी व्यापक आलोचना हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट पर पाबंदी लगाकर, सरकार ने न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया है, बल्कि नागरिकों को जानकारी और संवाद के अपने अधिकार से भी वंचित किया है। इस तरह के कदम से नागरिकों का विश्वास भी कमजोर होता है।
लोकतंत्र की चुनौतियां
अमनेस्टी इंटरनेशनल के इस बयान से स्पष्ट है कि पाकिस्तान में चुनाव के दौरान इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगाना, न केवल संचार के अधिकारों का उल्लंघन है बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों के लिए भी एक बड़ी चुनौती पेश करता है। संगठन ने अधिकारियों से इस प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाने का आह्वान किया है, ताकि नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा की जा सके।