वाशिंगटन (राघव)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश की चुनाव प्रणाली में व्यापक बदलाव की तैयारी कर ली है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर कर आगे की कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त किया है। अब संघीय चुनावों में मतदान के लिए नागरिकता के दस्तावेजी प्रमाण के बिना पंजीकरण संभव नहीं होगा.डाक से मतदान के नियमों में भी संशोधन किया जाएगा।
ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश के अनुसार, केवल चुनाव के दिन तक प्राप्त होने वाले मतपत्रों को ही गिनती में शामिल किया जाएगा। अपने ताजा आदेश में ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका अब तक बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा लागू करने में विफल रहा है। नए कार्यकारी आदेश जारी होने के बाद ट्रंप प्रशासन ने राज्यों से मतदाता सूचियों को साझा करने और चुनाव अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। सहयोग न करने की स्थिति में संघीय वित्तीय मदद वापस लेने की चेतावनी भी दी गई है.यदि राज्यों के चुनाव अधिकारी संघीय आदेशों का पालन नहीं करते, तो उनके लिए संघीय वित्त पोषण रोका जा सकता है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने हालिया फैसलों के कारण मताधिकार संगठनों के तीव्र विरोध और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप लंबे समय से यह दावा करते आ रहे हैं कि अमेरिका के चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है। 2020 के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उन्होंने डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। चुनाव में मिली हार के बाद से ही ट्रंप मतदान से जुड़े कई कानूनों का खुलकर विरोध कर रहे हैं और बार-बार धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं।ट्रंप विशेष रूप से मेल वोटिंग को लेकर मुखर रहे हैं.उन्होंने बिना किसी ठोस सबूत के इसे असुरक्षित बताते हुए कहा कि इससे धोखाधड़ी को बढ़ावा मिलता है।
हालांकि, इस साल चुनाव में जीत मिलने के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर अपना रुख बदल लिया, क्योंकि रिपब्लिकन नेताओं और उनके समर्थकों के बीच यह पद्धति काफी लोकप्रिय हो गई है। अमेरिकी चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि धोखाधड़ी के मामले दुर्लभ होते हैं, इनका दायरा सीमित होता है और ऐसे मामलों पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। मंगलवार को कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने कहा कि “चुनाव सुधार से जुड़े और भी कई बड़े फैसले आने वाले हफ्तों में लिए जाएंगे।”