पुणे: समाचार ट्रांसमिशन सेवा (पीटीआई) के अनुसार, रविवार को राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार भारत (एनएफएआई) में एक दक्षिणपंथी संगठन के सदस्यों ने एक डॉक्यूड्रामा की स्क्रीनिंग का विरोध किया। उनका दावा था कि यह फिल्म भारतीय सेना को नकारात्मक प्रकाश में पेश करती है।
विरोध प्रदर्शन के चलते हुई कार्रवाई
इस प्रदर्शन में शामिल समस्त हिंदू बंधव संघटना के प्रदर्शनकारियों को महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 के तहत नोटिस जारी करने के बाद रिहा किया गया, पुलिस अधिकारी ने बताया।
फिल्म का प्रदर्शन और विवाद
यह घटना तब हुई जब ‘आई एम नॉट द रिवर झेलम’ शीर्षक से एक डॉक्यूड्रामा को एनएफएआई के ‘आधुनिक भारतीय फिल्मों का उत्सव’ के भाग के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा था।
सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति चिंता
दक्षिणपंथी समूह का यह कदम भारतीय सेना के प्रति अपमानजनक चित्रण के खिलाफ एक विरोध के रूप में देखा गया है, जो देश के सांस्कृतिक मूल्यों और सम्मान की रक्षा करने के लिए खड़ी होती है।
समाज में उठे सवाल
इस घटना ने समाज में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, जहां एक ओर कुछ लोग कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मूल्यों की रक्षा की मांग कर रहे हैं।
आगे की राह
इस घटना ने फिल्म और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के आयोजन में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला है। समाज और सरकार के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल भारतीय समाज में विविधता और मतभेदों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस प्रकार सांस्कृतिक संवाद और समझदारी से आगे बढ़ा जा सकता है।