राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज से गुजरात के मोरबी जिले में अपने दो दिवसीय दौरे की शुरुआत की। उनका यह दौरा खासकर आर्य समाज के प्रणेता, महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में भाग लेने के लिए है।
राष्ट्रपति की गुजरात यात्रा
इस ऐतिहासिक अवसर पर, राष्ट्रपति मुर्मू ने टंकारा, मोरबी जिले के विशेष कार्यक्रम में सम्मिलित होकर, स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान और उनकी शिक्षाओं को याद किया। उन्होंने इस अवसर पर आर्य समाज और उसके संस्थापक के प्रति अपनी गहरी आदरांजलि प्रकट की।
राष्ट्रपति मुर्मू के इस दौरे को राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आर्य समाज के महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती का यह कार्यक्रम न केवल एक धार्मिक उत्सव के रूप में, बल्कि एक सांस्कृतिक एवं शैक्षिक जागरूकता के माध्यम से भी महत्व रखता है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से, राष्ट्रपति मुर्मू ने समाज में शिक्षा, समानता और न्याय के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वामी दयानंद की शिक्षाओं को आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक बताया, जितना कि वे उनके समय में थीं।
राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा न केवल एक उत्सवी श्रद्धांजलि है, बल्कि एक शैक्षिक अभियान के रूप में भी काम करती है, जो युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराती है। इस दौरे के द्वारा उन्होंने एक संदेश दिया है कि शिक्षा और ज्ञान ही सच्चे समाजिक परिवर्तन की कुंजी हैं।
अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे के दौरान, राष्ट्रपति मुर्मू ने न केवल महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती में भाग लिया, बल्कि वे स्थानीय समुदायों से भी मिलीं और उनके साथ विचार-विमर्श किया। उनका यह कदम समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता और समर्पण को दर्शाता है।
इस यात्रा के समापन पर, राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी भारतीयों से आह्वान किया कि वे स्वामी दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें और एक न्यायपूर्ण, समतामूलक और शिक्षित समाज की नींव रखें। उन्होंने यह भी जोर दिया कि शिक्षा के प्रसार से ही समाज में सच्चे परिवर्तन की शुरुआत होती है।