मुंबई (राघव): मुंबई के विले पार्ले पूर्व स्थित कांबलीवाडी में 35 वर्ष पुराने पार्श्वनाथ दिगंबर मंदिर को बीएमसी द्वारा तोड़े जाने के खिलाफ जैन समुदाय ने अहिंसक रैली निकाल कर विरोध किया। विले पार्ले रेलवे स्टेशन से शुरू मोर्चा नेहरू रोड, तेजपाल रोड, हनुमान रोड, एमजी रोड, शाहजी राणे रोड, कोल डोंगरी, अंधेरी स्टेशन होते हुए गुंदवली के पास बीएमसी के पूर्व विभाग पर पहुंची। मोर्चे में बड़ी संख्या में जैन समुदाय ने हाथों में तख्तियां व बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। हजारों की तादाद में महिलाएं-पुरुष सड़कों पर नारे लगाते हुए नजर आए। सभी ने काली पट्टी बांधकर बीएमसी प्रशासन और सरकार का विरोध किया।
रैली के दौरान लोग नारे लगा रहे थे “हम कमजोर नहीं हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे।” जैन समुदाय के लोगों ने कहा कि हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ है, लेकिन हमारी अहिंसा को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। बीएमसी ने जैन मंदिर को बिना नोटिस दिए 17 अप्रैल को सुबह 9 बजे तोड़ दिया था। कोर्ट में बीएमसी की दलील थी कि जिस जगह पर जैन मंदिर बना है वह गार्डन का रिजर्व प्लाट था जबकि जैन मंदिर के पक्षकारों का कहना है कि इस पर स्टे लगा था और हम हाईकोर्ट में अपील करने जा रहे थे। बीएमसी प्रशासन ने हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना जल्दबाजी में मंदिर को ध्वस्त कर दिया। जैन समाज ने आरोप लगाया कि जिस समय तोड़ने के कार्रवाई की जा रही थी उस समय मंदिर में पूजा पाठ हो रही थी। कार्रवाई में मूर्ति समेत कई सामग्रियों को नुकसान पहुंचाया गया। इसके विरोध में जैन समुदाय ने शनिवार सुबह 9.30 बजे विरोध प्रदर्शन शुरू किया। विरोध प्रदर्शन से पहले जैन बंधुओं ने ध्वस्त मंदिर में आरती की। फिर आंदोलन शुरू किया।
बीएमसी के पूर्व विभाग कार्यालय के सामने चिलचिलाती धूप में जैन समुदाय के लोगों ने करीब 2 घंटे तक सड़क पर बैठकर धरना दिया। जैन समुदाय के लोगों ने उसी जगह पर फिर से मंदिर बनाने, तोड़क कार्रवाई के अधिकारी को निलंबित करने और बीएमसी से माफी मांगने की शर्त रखी। जैन समुदाय के प्रतिनिधि मंडल के साथ विधायक मुरजी पटेल, पराग अलवणी बीएमसी अधिकारियों से बातचीत में शामिल हुए। जैन समुदाय को आश्वासन दिया गया कि तोड़े गए जैन मंदिर का मलबा बीएमसी हटाएगी और पतरे का शेड बनाकर अस्थाई पूजा किया जाएगा। कांबलीवाड़ी में नेमिनाथ सहकारी आवास सोसाइटी में बने मंदिर (चैत्यालय) के ट्रस्टी अनिल शाह ने कहा कि इसे 16 अप्रैल को ढहा दिया गया। शाह ने बताया कि यह मंदिर 1960 के दशक का था और बीएमसी की परमिशन से इसका जीर्णोद्धार कराया गया था।
जैन समुदाय ने कहा है कि कोर्ट के फैसले के बाद बीएमसी प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए थी। ट्रस्टी शाह ने कहा कि बीएमसी ने अदालत के फैसले का इंतजार नहीं किया। मंदिर के ट्रस्टियों ने कहा कि बीएमसी को पता था कि हमने हाईकोर्ट में अपील दायर की है, लेकिन बीएमसी प्रशासन ने जल्दबाजी में मंदिर को तोड़ दिया। इसलिए जैन समाज की ओर से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है। मंदिर तोड़े जाने के बाद जैन समाज के लोग लगातार उस बीएमसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे, जिनके नेतृत्व में तोड़क कार्रवाई को अंजाम दिया गया था। इसके बाद शनिवार देर शाम बीएमसी प्रशासन ने ‘के’ पूर्व वार्ड के सहायक आयुक्त नवनाथ घाडगे का तबादला आदेश को जारी कर दिया गया।