बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा में बुधवार को विपक्षी भाजपा और सत्ताधारी कांग्रेस के सदस्यों के बीच राम मंदिर और हनुमान ध्वज मुद्दे पर गरमा-गरम बहस हुई। यह बहस राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के दौरान हुई।
विवादों की जड़
विपक्ष के नेता आर अशोक ने गवर्नर के संबोधन के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान, सिद्धारमैया प्रशासन पर कानून और व्यवस्था की स्थिति में गिरावट का आरोप लगाते हुए, विभिन्न घटनाओं की सूची बताई।
जब अशोक ने अयोध्या में भगवान राम लल्ला की मूर्ति के प्रतिष्ठापन से पहले, 1992 की हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए श्रीकांत पुजारी का जिक्र किया, जिन्हें उन्होंने “कारसेवक” कहा, तो कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति जताई और कहा कि पुजारी का आपराधिक पृष्ठभूमि थी और वह मटका संबंधी मामलों में शामिल थे।
इस विवाद ने राज्य में राजनीतिक और सामाजिक चर्चा को नई दिशा दी है। राम मंदिर और हनुमान ध्वज के मुद्दे ने न केवल राजनीतिक मंचों पर बल्कि सामान्य जनता के बीच भी गहन चर्चाओं को जन्म दिया है।
विधानसभा में उठे इस मुद्दे ने कर्नाटक की राजनीति में एक नई चर्चा का संचार किया है। राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, जिससे राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है।
कर्नाटक विधानसभा में हुई इस गरमा-गरम चर्चा ने राज्य की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था पर नई रोशनी डाली है। विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच इस तरह की बहस से राज्य की जनता के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।
इस बहस के माध्यम से, राज्य की राजनीति में विभिन्न मुद्दों पर गहराई से चर्चा हो रही है, जिससे राज्य के नागरिकों को विभिन्न दृष्टिकोण समझने में मदद मिल रही है। कर्नाटक की राजनीति में इस तरह के विवाद और चर्चा का महत्वपूर्ण स्थान है, जो लोकतंत्र की विविधता और गतिशीलता को दर्शाता है।