किसान आंदोलन ने अपने सातवें दिन पर पहुँचते हुए एक नई करवट ली है। पंजाब और हरियाणा के सीमावर्ती क्षेत्रों में डटे किसानों ने अपनी एकता और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया है। चंडीगढ़ में हुई केंद्र-किसानों की बैठक के चौथे दौर ने इस संवाद को एक नई दिशा प्रदान की है।
केंद्र और किसानों के बीच संवाद
मंत्री पीयुष गोयल के अनुसार, इस बैठक में कुछ ठोस प्रस्तावों पर चर्चा की गई है, जिनमें कुछ उत्पादों पर पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी शामिल है। किसानों ने इन प्रस्तावों पर चर्चा करने और अपनी राय देने की बात कही है।
दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है, और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है। विभिन्न सीमा क्षेत्रों में बैरिकेडिंग कर सुरक्षा बढ़ाई गई है।
किसान आंदोलन के मद्देनजर, हरियाणा और पंजाब के कुछ जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया है। यह कदम संभावित अशांति को रोकने के लिए उठाया गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने पंजाब में सभी टोल प्लाजा को 22 फरवरी तक टोल-फ्री बनाने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, भाजपा के प्रमुख नेताओं के घरों के बाहर विरोध-प्रदर्शन की योजना बनाई गई है।
हिसार में, किसान नेताओं सुरेश कोठ और रवी आजाद की गिरफ्तारी के विरोध में किसानों ने ठोस कदम उठाया है। किसान समुदाय और खाप पंचायतों ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है।
इस आंदोलन के दौरान, किसानों की मांगें और सरकार के प्रस्तावों के बीच एक संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई है। आने वाले दिनों में, इस संवाद के परिणाम क्या होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। किसान समुदाय की एकता और दृढ़ संकल्प इस आंदोलन की दिशा निर्धारित करेगी।