कोल्लम: केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने सोमवार को केंद्र सरकार की इस शर्त पर कड़ी आलोचना की कि राज्य को धन उधार लेने की अनुमति केवल तब दी जाएगी जब वह सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले को वापस ले लेगा, इसे “अत्यंत निराशाजनक” और वित्तीय संघवाद के लिए हानिकारक बताया।
केंद्र का कड़ा रुख
यहां मीडिया से बातचीत में, बालगोपाल ने दावा किया कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि अगर केरल अपनी याचिका वापस लेता है, तो सरकार सोमवार को ही राज्य को लगभग 12,000 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति देगी।
“राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उस फंड के लिए मामला दायर किया है जो वाजिब रूप से हमारा है,” उन्होंने कहा।
इस घटनाक्रम को राज्य की वित्तीय स्वायत्तता के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। केंद्र की इस शर्त ने न केवल वित्तीय संघवाद की भावना को कमजोर किया है बल्कि यह भी संकेत दिया है कि संविधान में प्रदत्त राज्यों के अधिकारों के प्रति केंद्र का रवैया कितना असंवेदनशील है।
बालगोपाल के अनुसार, यह मामला केवल केरल के लिए नहीं बल्कि सभी राज्यों के लिए एक मिसाल सेट करता है। यह दिखाता है कि केंद्र सरकार कैसे वित्तीय सहायता को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है, जिससे राज्यों की स्वायत्तता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
इस पूरे प्रकरण ने राज्य और केंद्र के बीच संवाद की आवश्यकता को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। वित्तीय स्वतंत्रता और संघवाद की भावना को बनाए रखने के लिए, दोनों पक्षों के बीच समझ और सहयोग की एक मजबूत नींव आवश्यक है।
केरल वित्त मंत्री के इस कदम को राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए एक साहसिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल केरल बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मजबूत संदेश भेजता है कि वित्तीय स्वायत्तता और संघीय ढांचे की रक्षा के लिए उन्हें सक्रिय रूप से खड़ा होना चाहिए।