नई दिल्ली: आदिवासी छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच और उनके प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की परियोजना की शुरुआत बुधवार को की जाएगी। यह परियोजना आयुष मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सहयोग से शुरू की जा रही है।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य 20,000 आदिवासी छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच करना और आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों के माध्यम से उनका प्रबंधन करना है। छात्र जो कक्षा छह से 12 में अध्ययनरत हैं, उनकी स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा।
आयुर्वेदिक हस्तक्षेप
इस परियोजना के तहत, 55 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों में 14 राज्यों के छात्रों की स्वास्थ्य जाँच की जाएगी। यह आयुष मंत्रालय के अनुसंधान परिषद CCRAS, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और ICMR-राष्ट्रीय आदिवासी स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान, जबलपुर के सहयोग से किया जा रहा है।
इस अभियान के माध्यम से, आदिवासी छात्रों के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल और उनके जीवन स्तर में सुधार करने की उम्मीद की जा रही है। आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों के माध्यम से, इस परियोजना का लक्ष्य छात्रों को एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली प्रदान करना है।
इस पहल के शुरू होने से आदिवासी समुदायों में स्वास्थ्य जागरूकता और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ने की आशा है। इससे ना केवल छात्रों का स्वास्थ्य सुधरेगा बल्कि उनकी शिक्षा और समग्र विकास में भी मदद मिलेगी।
इस अभिनव परियोजना के माध्यम से, आदिवासी छात्रों को आयुर्वेदिक चिकित्सा के महत्व और लाभों के बारे में शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे उन्हें अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान खोजने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना के शुभारंभ के साथ, आयुष मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है ताकि आदिवासी छात्रों के स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया जा सके। यह पहल निश्चित रूप से आदिवासी समुदायों के लिए एक नई सुबह लाएगी।