मुंबई: मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 4 पैसे की सराहनीय वृद्धि देखी गई, जिससे यह 82.97 पर स्थिर हुआ। यह वृद्धि मुख्यतः शेयर बाजार में मजबूत धारणा और अमेरिकी मुद्रा की कमजोरी के बीच हुई।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि सतत विदेशी निधि के बहिर्वाह ने घरेलू मुद्रा में तीव्र लाभ को सीमित कर दिया है।
बाजार की गतिविधियां
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में, स्थानीय इकाई ने 83.02 पर खुलने के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.91 के इंट्राडे उच्चतम स्तर को छुआ। इस दौरान, विदेशी निवेशकों के सतत प्रवाह ने रुपये की मजबूती को एक सीमा तक संतुलित किया।
यह बढ़ोतरी विश्व बाजारों में डॉलर की कमजोरी और घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक धारणा के चलते हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान आने वाले समय में भी जारी रह सकता है, बशर्ते कि वैश्विक आर्थिक संकेतक सकारात्मक रहें।
रुपये की यह मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह आयातित महँगाई पर अंकुश लगा सकती है और विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार को और अधिक आकर्षक बना सकती है।
अंततः, रुपये की मजबूती और विदेशी निधि के प्रवाह में स्थिरता, भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती प्रदान कर सकती है, जिससे देश की वित्तीय स्थिरता और भी अधिक सुनिश्चित होगी। इस प्रकार, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह एक स्वागत योग्य विकास है।