शंभू बॉर्डर, जो किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु बन चुका है, वहाँ परिस्थितियाँ और भी गंभीर होती जा रही हैं। दैनिक भास्कर के एक रिपोर्टर ने हरियाणा पुलिस की बैरिकेडिंग और आंसू गैस के गोले लोड करते हुए पुलिसकर्मियों को देखा। यह घटना उस समय की है जब पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी थी।
आंसू गैस की तैयारी
भास्कर के रिपोर्टर ने यह देखा कि किस प्रकार पुलिस ने आंसू गैस के गोले लोड करने की तैयारी की थी। हालांकि, जब उन्होंने इस क्रियावली का वीडियो बनाया, तो पुलिस अधिकारी ने तत्काल उसे डिलीट करवा दिया। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस अपनी कार्यवाही को गोपनीय रखना चाहती थी।
पुलिस की सख्ती के बाद, रिपोर्टर को शंभू बॉर्डर से एक किलोमीटर दूर हरियाणा की ओर पैदल जाने के लिए मजबूर किया गया। यह घटना किसान आंदोलन के बीच मीडिया की स्वतंत्रता पर भी प्रश्न चिह्न लगाती है।
अंबाला में शंभू बॉर्डर के निकट, नाकाबंदी की गई थी, जहाँ सभी मीडियाकर्मियों को रोक दिया गया। यहाँ तक कि जब भास्कर के रिपोर्टर ने पुलिस से शंभू सीमा तक जाने की अनुमति मांगी, तो उन्हें साफ इनकार कर दिया गया।
इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि किसान आंदोलन के दौरान पुलिस और प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। इससे न सिर्फ मीडिया की स्वतंत्रता पर प्रश्न उठते हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार और पुलिस किसानों के प्रतिरोध को किस प्रकार से देख रहे हैं। इस तनावपूर्ण स्थिति में, यह देखा जाना बाकी है कि आगे चलकर क्या कदम उठाए जाएंगे।