पंजाब के किसानों ने अपने दिल्ली कूच को दो दिन के लिए टाल दिया है। यह फैसला एक किसान की मौत और तनावपूर्ण हालातों के बाद लिया गया है। किसान नेता सरवण पंधेर के अनुसार, इस दौरान वे अपनी रणनीति पर काम करेंगे।
किसानों का नया रूख
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस के साथ टकराव के बाद, किसानों ने शांति का मार्ग अपनाया। दोनों पक्षों ने सफेद झंडे लहराकर संघर्ष विराम का संकेत दिया। यह शांति का प्रतीक बन गया, जबकि इससे पहले दिन भर तनाव बना रहा था।
पुलिस और किसानों के बीच यह टकराव नई चुनौतियां लेकर आया। पुलिस ने रबर बुलेट और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिससे कई किसान घायल हुए। इस दौरान, खनौरी बॉर्डर पर एक युवा किसान की मौत हो गई, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई।
विजय कुमार, एक तैनात एसआई, की भी तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इन घटनाओं ने किसान आंदोलन की गंभीरता को और बढ़ा दिया।
जींद के पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार ने बताया कि आंदोलन के दौरान कुछ लोगों ने धान की पराली में आग लगाई और पुलिस पर हमला किया। इस हमले में 12 पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए।
किसान आंदोलन की यह नई कहानी न सिर्फ संघर्ष की गवाह है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे शांति और रणनीति के माध्यम से संघर्षों का समाधान खोजा जा सकता है। किसानों का यह दिल्ली कूच और उनकी आगे की योजनाएँ निश्चित रूप से देश की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डालेंगी।