समाजवादी पार्टी के मुखिया, अखिलेश यादव को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक महत्वपूर्ण मामले में पूछताछ हेतु समन जारी किया है। यह कदम उत्तर प्रदेश में अवैध खनन की जांच के तहत उठाया गया है, जिसमें अखिलेश यादव को 29 फरवरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
अवैध खनन: एक गहराई से जांच
यह मामला 2012 से 2016 के बीच हमीरपुर में अवैध खनन के गंभीर आरोपों से जुड़ा है। जनवरी 2019 में, CBI ने इस मामले में प्रमुख IAS अधिकारी बी. चंद्रकला सहित 11 व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इस प्रक्रिया में, अखिलेश यादव को CRPC की धारा 160 के तहत समन जारी किया गया, जो CBI को किसी भी 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाने की शक्ति प्रदान करती है।
अवैध खनन का यह मामला तब गहराया जब गायत्री प्रजापति उत्तर प्रदेश में खनिज मंत्री थे। इस दौरान, हमीरपुर समेत 22 जिलों में नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध खनन किया गया था। इस मामले की जांच के लिए बाद में CBI को सौंपा गया था।
अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई में अधिवक्ता विजय द्विवेदी ने बताया कि यह उत्तर प्रदेश खनन घोटाले का एक प्रमुख मामला है। इसकी जांच के लिए CBI को सौंपी गई थी, जिसमें उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में नियमों का उल्लंघन कर अवैध पट्टे किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने उल्लेख किया कि अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में कोई नोटिस जारी नहीं हुआ है। हालांकि, खनन मामले में CBI ने उन्हें समन जारी किया है, जिससे उन्हें न्याय की उम्मीद है। विश्वनाथ चतुर्वेदी ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा दायर किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
इस प्रकार, CBI द्वारा अखिलेश यादव को समन जारी करना उत्तर प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसका परिणाम न केवल खनन मामले की जांच पर, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा पर भी प्रभाव डाल सकता है।