नई दिल्ली: हाल ही में ब्रिटेन में बसी भारतीय मूल की लेखिका निताशा कौल को बेंगलुरु में प्रवेश से रोके जाने के घटनाक्रम पर, विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि विदेशी नागरिकों का देश में प्रवेश एक “संप्रभु निर्णय” है। कौल को कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन पिछले सप्ताह उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे से लंदन वापस भेज दिया गया था।
संप्रभुता का निर्णय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “यह विशेष ब्रिटेन का नागरिक 22 फरवरी को भारत आया था। जैसा कि आप जानते हैं, हमारे देश में विदेशी नागरिकों का प्रवेश एक संप्रभु निर्णय है।” उन्होंने आगे बताया कि किसी भी विदेशी नागरिक का भारत में प्रवेश देश की सुरक्षा, नीति और संप्रभुता के आधार पर निर्धारित होता है।
इस घटना ने विदेशी नागरिकों के भारत में प्रवेश को लेकर नियमों और शर्तों पर पुनः ध्यान केंद्रित कराया है। विदेश मंत्रालय का यह कदम दिखाता है कि भारत सरकार अपनी संप्रभुता को किसी भी परिस्थिति में प्राथमिकता देती है।
विदेश मंत्रालय के इस निर्णय को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कुछ लोग इसे देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के रूप में देख रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण ने भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के भारत आने की प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला है। सरकार ने इस मामले में स्पष्ट किया है कि किसी भी विदेशी नागरिक का भारत में प्रवेश उनके वीजा स्थिति, उद्देश्य और अन्य मानदंडों के आधार पर निर्धारित होता है।
अंततः, यह घटना भारतीय विदेश नीति के एक महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करती है। यह दिखाता है कि भारत सरकार अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और नीतियों को कैसे संरक्षित करती है, यहाँ तक कि यह विश्व स्तर पर अपने संबंधों को कैसे प्रबंधित करती है।