राजस्थान के जयपुर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक बालमुकुंद आचार्य ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है। उनका कहना है कि भारतीय शादी की रस्में, जो कि पहले दिन में सूर्य को साक्षी मानकर संपन्न होती थीं, मुगल आक्रमण के बाद रात में होने लगीं। उन्होंने इसके लिए मुगलों की आक्रामकता और उनके भारतीय समाज पर प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया है।
मुगल शासन का भारतीय परंपराओं पर प्रभाव
आचार्य के अनुसार, मुगलों के आक्रमण के बाद से ही भारत में शादी की परंपराएं बदलने लगीं। उन्होंने कहा कि मुगलों की उपस्थिति के चलते, जो उनके अनुसार बहन-बेटियों को उठाकर ले जाते थे, लोगों ने दिन के बजाय रात में शादी करना शुरू कर दिया। इस परिवर्तन को उन्होंने मुगल आक्रमण का सीधा परिणाम बताया।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री, मदन दिलावर के समर्थन में बोलते हुए, आचार्य ने मुगलों को “विदेशी आतंकी” कहा और उनके भारत में किए गए आक्रमणों को लूट और हिंसा से जोड़ा। उनका मानना है कि मुगलों को महान बताना गलत है और उनकी चर्चा तक नहीं होनी चाहिए।
आचार्य का सुझाव है कि मुगल शासकों के नाम पर रखे गए सड़कों और शहरों के नाम बदले जाने चाहिए। उन्होंने इस बारे में और अधिक जागरूकता फैलाने और भारतीय समाज की मूल परंपराओं को फिर से स्थापित करने की बात कही है।
इस बयान के बाद से, सोशल मीडिया और विभिन्न न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर इस विषय पर चर्चा तेज हो गई है। कुछ लोग आचार्य के विचारों का समर्थन करते हैं, जबकि अन्य इसे इतिहास की गलत व्याख्या मानते हैं। यह विषय न केवल इतिहास और संस्कृति के बारे में है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे इतिहास की व्याख्या समकालीन राजनीति और सामाजिक धारणाओं को प्रभावित कर सकती है।