महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर 7 मार्च को सुनवाई करने का निर्णय लिया। इस याचिका में महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर द्वारा शिंदे ग्रुप को असली शिवसेना मानने के फैसले को चुनौती दी गई है।
महाराष्ट्र का सियासी संग्राम
ठाकरे गुट का मानना है कि स्पीकर का यह फैसला महज विधानमंडल में बहुमत के आधार पर लिया गया है, जो कि गलत है। इस परिप्रेक्ष्य में, सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में सुनील प्रभु (ठाकरे गुट) की ओर से दायर की गई याचिका पर शिंदे और उनके समूह के 38 विधायकों को नोटिस जारी किया था।
इस विवाद की जड़ में है विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने का आदेश। उद्धव ठाकरे गुट ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर अब सुनवाई होने जा रही है।
पीठ ने कहा कि कई मामले, जिन्हें 1 मार्च को सूचीबद्ध किया जाना था, उन्हें सूची में शामिल नहीं किया जा सका, जिसमें उद्धव ठाकरे गुट की याचिका भी शामिल है। इसे अब 7 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से मामले में शीघ्र सुनवाई की मांग की। इस पर, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने उन्हें सुनवाई का भरोसा दिया।
महाराष्ट्र के स्पीकर ने अपने फैसले में शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य करार देने से मना कर दिया था और उन्हें असली शिवसेना माना था। स्पीकर के इस फैसले को उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई दिशा की आशा जगी है।