सुप्रीम कोर्ट ने आज घोषणा की है कि वह ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने की याचिकाएं एक साथ सुनेगा। इस निर्णय के साथ, न्यायालय ने इस मामले में एक नई दिशा तय की है। मसाजिद इंतजामिया कमेटी द्वारा दायर नई याचिका और पहले से लंबित याचिका दोनों को एक साथ सुनने का फैसला सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश द्वारा लिया गया है।
ज्ञानवापी तहखाने में पूजा पर विवाद
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उस समय आया है जब मस्जिद कमेटी ने हाल ही में 26 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद, मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का द्वार खटखटाया।
मस्जिद कमेटी का आरोप है कि ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति देना उनके अधिकारों का हनन है। वे लंबे समय से इस क्षेत्र के अधिकारी रहे हैं और अचानक पूजा शुरू कर देने से उनके अधिकारों को चुनौती मिली है।
दूसरी ओर, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार ने 1993 से ही व्यास परिवार और श्रद्धालुओं को पूजा-पाठ करने से रोका है, जो कि उनके हित के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। यह मामला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का प्रश्न उठाता है बल्कि भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता के मुद्दे को भी सामने लाता है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और इस पर आने वाले निर्णय का इंतजार अब पूरे देश को है।