चिट्टा, जो कि स्थानीय बोलचाल में प्रचलित शब्द है और आमतौर पर हेरोइन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ने एक बार फिर एक युवा जीवन को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। 24 वर्षीय आकाशदीप की कहानी, जो कि पंजाब के फजिल्का जिले के आजमवाला गांव के निवासी थे, नशे के खिलाफ चेतावनी का एक जीवंत उदाहरण बन गई है।
आकाशदीप के पिता, परमजीत सिंह ने शेयर किया कि कैसे उनका बेटा बुरी संगत में पड़कर नशे का आदी बन गया था। दुखद घटनाचक्र में, आकाशदीप ने चिट्टा का इंजेक्शन लगाया और इसके तुरंत बाद वह बाथरूम में बेसुध हालात में पाए गए। अस्पताल ले जाने से पहले ही उनकी मौत हो गई।
चिट्टा का विनाशकारी प्रभाव
यह घटना न केवल एक परिवार के लिए त्रासदी है बल्कि यह समाज में चिट्टा जैसे नशीले पदार्थों के बढ़ते प्रचलन और उनके विनाशकारी प्रभावों को भी उजागर करता है। नशे की लत, जो कि शुरू में सुखदायक लग सकती है, अंततः व्यक्ति को जीवन की गहराइयों में खींच लेती है, जहां से वापसी कठिन हो जाती है।
अबोहर के थाना खुईखेड़ा पुलिस ने परमजीत सिंह की शिकायत पर दो नामजद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिन्होंने आकाशदीप को चिट्टा प्रदान किया था। यह कदम न केवल न्याय की दिशा में एक कदम है बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज और कानूनी तंत्र नशे के खिलाफ कितना सजग है।
इस घटना से एक महत्वपूर्ण सबक मिलता है – नशे की लत से मुक्ति के लिए समय रहते कदम उठाना जरूरी है। परिवार, समाज और सरकार को मिलकर नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और प्रभावी उपचार सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम करना होगा। आकाशदीप की कहानी हम सभी के लिए एक चेतावनी है कि नशे की गिरफ्त में पड़ने से पहले ही सजग रहना और सही कदम उठाना कितना महत्वपूर्ण है।