नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उसने झारखंड के विधायक अंबा प्रसाद, उनके पिता और पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और अन्य के खिलाफ धन शोधन मामले में अपनी जांच के भाग के रूप में छापेमारी की है, जिसमें लगभग 35 लाख रुपये की “अस्पष्ट” नकदी और कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
जांच के दायरे में
इस मामले की शुरुआत झारखंड पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता और आर्म्स एक्ट के तहत साव, उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के खिलाफ दर्ज 15 प्राथमिकी से हुई है। ईडी ने मंगलवार को प्रसाद, साव और अन्य के परिसरों में प्रवर्तन निदेशालय के धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापेमारी की। इस छापेमारी का उद्देश्य कथित उगाही, लेवी संग्रहण, अवैध बालू खनन और भूमि हड़पने से संबंधित जांच में सहायता करना है।
ईडी ने इस दौरान विभिन्न अवैध गतिविधियों के प्रमाण के रूप में फर्जी मुहरें भी जब्त की हैं, जो इस बात का संकेत है कि आरोपी किस तरह से अपने अवैध कारोबार को वैधता प्रदान करने की कोशिश कर रहे थे। यह छापेमारी और जब्ती ईडी की ओर से की गई अहम कार्रवाईयों में से एक है, जिसके जरिए अवैध धन संचय और धन शोधन के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत किया जा रहा है।
यह मामला झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ लाता है, जहां आरोपी व्यक्तियों का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव उनके अवैध कार्यों के लिए एक कवच की तरह काम करता रहा है। इस छापेमारी से उन व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, जो कानून को अपने हाथ में लेकर अवैध कृत्यों में लिप्त हैं।
इस घटना के माध्यम से ईडी ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि धन शोधन और अवैध गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों। इस जांच से यह भी उम्मीद की जा रही है कि अवैध धन संचय और धन शोधन के खिलाफ लड़ाई में नई दिशा मिलेगी।