उत्तराखंड के राजनीतिक दृश्य में एक बड़ा उलटफेर हुआ है। बदरीनाथ से कांग्रेस के विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी ने भाजपा का दामन थाम लिया है। यह घटना कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के रूप में सामने आई है।
बदरीनाथ की सियासी जमीन
बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र, जो गढ़वाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है, अब तक कांग्रेस के अधीन था। इस क्षेत्र से भाजपा ने अनिल बलूनी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिन्हें आगामी चुनावों में भारी जीत की उम्मीद है।
राजेंद्र सिंह भंडारी के इस कदम ने उत्तराखंड की राजनीति में तूफान ला दिया है। भंडारी, जिन्होंने 2022 के चुनाव में भाजपा के महेंद्र भट्ट को हराया था, अब खुद भाजपा का हिस्सा बन गए हैं। इस घटना से कांग्रेस की स्थानीय स्तर पर मौजूदगी को गहरा झटका लगा है।
दल-बदल की राजनीति
कांग्रेस ने इस कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष से भंडारी की विधायकी रद्द करने की मांग की है। दल-बदल विरोधी कानून के तहत, एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने वाले विधायक की सदस्यता अवैध हो सकती है। कांग्रेस ने इस आधार पर भंडारी की विधायकी रद्द करने का आग्रह किया है।
इस घटनाक्रम से उत्तराखंड की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। भाजपा के लिए, भंडारी का शामिल होना उनकी स्थानीय राजनीति में मजबूती का संकेत है। वहीं, कांग्रेस के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, जिसे अपनी स्थिति को मजबूत करने की दरकार है।
अंततः, बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र की इस घटना ने उत्तराखंड की राजनीति में नई दिशाएं और संभावनाएं खोल दी हैं। आगामी समय में इसके व्यापक प्रभावों को देखा जा सकेगा, जिससे राज्य की राजनीतिक दिशा और धारा का निर्धारण होगा।