वडोदरा: गुजरात के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक केतन इनामदार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा से अपना इस्तीफा दे दिया, जिसे उन्होंने अपनी “आत्मा की आवाज” सुनकर और “आत्म-सम्मान से बड़ा कुछ नहीं” बताया। इनामदार ने यह भी कहा कि उनका यह कदम किसी दबाव की रणनीति नहीं है और वे आगामी संसदीय चुनावों में वडोदरा सीट से भाजपा उम्मीदवार रंजन भट्ट की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे।
वडोदरा में भाजपा को झटका
वडोदरा जिले के सावली सीट से तीन बार के विधायक इनामदार ने विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी को अपना इस्तीफा सौंपा। उन्होंने इस फैसले को लेकर अपने दिल की बात सुनने और आत्म-सम्मान को सर्वोपरि रखने की बात कही। इनामदार का यह फैसला राजनीतिक हलचल में नया मोड़ लेकर आया है, जो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ है।
इस्तीफे की घोषणा करते हुए, इनामदार ने कहा कि उनका यह कदम व्यक्तिगत निर्णय है और इसे किसी दबाव की रणनीति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि वे अपने राजनीतिक करियर में आत्म-सम्मान को हमेशा महत्व देते आए हैं और उनका यह फैसला भी इसी विचारधारा के अनुरूप है।
भाजपा के प्रति समर्थन बरकरार
इनामदार ने बल देकर कहा कि उनका भाजपा से मोहभंग नहीं हुआ है और वे आगामी चुनावों में पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता जताई कि वे वडोदरा सीट से भाजपा उम्मीदवार रंजन भट्ट की जीत के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इस घोषणा से यह स्पष्ट होता है कि इनामदार की पार्टी के प्रति निष्ठा अब भी कायम है, और वे इसे मजबूती से समर्थन देते रहेंगे।
इनामदार के इस्तीफे ने राजनीतिक विश्लेषकों को चकित कर दिया है, जो इसे लोकसभा चुनावों से पहले गुजरात भाजपा के लिए एक बड़े झटके के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, इनामदार का यह कहना कि वे पार्टी के लिए काम करते रहेंगे, ने एक उम्मीद की किरण भी जगाई है।
इस पूरे प्रकरण से यह संदेश गूंज उठा है कि राजनीति में आत्म-सम्मान और नैतिक मूल्यों का महत्व है, और किसी भी विधायक के लिए उनकी व्यक्तिगत पहचान और आत्म-सम्मान को संजोना जरूरी है। गुजरात राजनीति में इनामदार का यह कदम भविष्य में अन्य नेताओं के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है।