दिल्ली की सियासत में इस समय तूफानी हलचल है। आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक गुलाब सिंह यादव के घर पर आज सुबह वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए ईडी (ED) ने छापेमारी की। इस घटनाक्रम को लेकर पार्टी और इसके समर्थकों में गहरी निराशा और क्रोध की लहर है।
AAP और ED की रस्साकशी
22 मार्च को दिल्ली शराब नीति मामले में, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को PMLA कोर्ट ने 6 दिनों के लिए ED की हिरासत में भेज दिया। इसके बाद, केजरीवाल ने दावा किया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे और जरूरत पड़ने पर जेल से ही सरकार चलाने को तैयार हैं। इस पर भाजपा नेता मनोज तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, यह कहते हुए कि सरकार जेल से नहीं चलाई जा सकती।
इस बीच, AAP ने आज शहीदी पार्क में प्रदर्शन की घोषणा की है, जिसे विपक्षी दलों के खिलाफ सरकार की कथित दमनकारी नीतियों के खिलाफ एक बड़ी आवाज माना जा रहा है।
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा सरकार विपक्षी दलों को कुचलने की मुहिम में लगी हुई है।
दिल्ली शराब नीति मामले में हुई ईडी की कार्रवाई ने राजनीतिक दलों के बीच तनाव को और भी बढ़ा दिया है। अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तारी और रिमांड की खबरों ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बिंदु बना दिया है।
विधायक गुलाब सिंह यादव के घर पर हुई रेड और इसके प्रतिक्रिया स्वरूप AAP द्वारा आयोजित प्रदर्शन ने सरकार और विपक्ष के बीच की खाई को और गहरा दिया है। इस घटनाक्रम को लेकर आम जनता में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं।
इस पूरे प्रकरण में अरविंद केजरीवाल की दृढ़ता और उनके इस्तीफा न देने के निर्णय ने उनके समर्थकों में एक नई उम्मीद जगाई है। केजरीवाल का यह कहना कि वे जरूरत पड़ने पर जेल से भी सरकार चलाएंगे, ने उनके नेतृत्व के प्रति लोगों की आस्था को और मजबूत किया है।
इस बीच, मनोज तिवारी की टिप्पणी ने राजनीतिक बहस को एक नया मोड़ दिया है। उनका कहना कि “जेल से सरकार नहीं चलती है,” ने इस चर्चा को नई दिशा प्रदान की है।
दिल्ली के राजनीतिक मंच पर इस समय जो नाटकीय घटनाक्रम चल रहा है, वह न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश की राजनीति पर अपना असर डालने के लिए तैयार है। AAP के प्रदर्शन और इसके विरोध में भाजपा की प्रतिक्रिया ने दिखाया है कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में मतभेद और विचारों की टकराहट कितनी गहरी है। इस पूरे प्रसंग ने न केवल राजनीतिक दलों के बीच की विचारधारात्मक दूरी को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि किस तरह से सत्ता और विपक्ष के बीच की लड़ाई आम जनता और उनके मुद्दों से कहीं ज्यादा व्यक्तिगत और स्वार्थपूर्ण होती जा रही है।
इस समय दिल्ली और देश की जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस घमासान से निकलने वाला परिणाम क्या होगा। क्या यह घटनाक्रम राजनीतिक संवाद और समझौते की नई दिशा प्रदान करेगा, या फिर यह विभाजन और टकराव को और गहरा करेगा?
आम आदमी पार्टी का शहीदी पार्क में प्रदर्शन, और उस पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ, इस बात का प्रमाण हैं कि देश की राजनीति में अभी भी विचारों और आदर्शों की लड़ाई जारी है। इस संघर्ष का मुख्य केंद्रबिंदु वह सवाल है जिसे हर राजनीतिक दल और उनके नेता अपने तरीके से हल करना चाहते हैं – ‘राजनीति किसके लिए और किसके द्वारा की जा रही है?’
दिल्ली में सियासी घमासान: AAP नेताओं पर ED की कार्रवाई
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