धार की प्राचीन और ऐतिहासिक भोजशाला में चल रहे वैज्ञानिक सर्वे का आज छठा दिन नए उत्साह और सजगता के साथ सामने आया। हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम ने इस ऐतिहासिक स्थल पर अपनी जांच पड़ताल जारी रखी। इस खोजी यात्रा में दोनों पक्षों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं, जो सर्वे प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर अपनी निगाहें गढ़ाए हुए हैं।
भोजशाला: एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण
सर्वे की प्रक्रिया में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए, मजदूरों को मेटल डिटेक्टर्स से जांच के बाद साइट पर प्रवेश की अनुमति दी गई। इसके साथ ही सर्वेक्षण कार्य ने गति पकड़ी, जिसमें भोजशाला के गर्भगृह और आस-पास के क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया गया। पिछले मंगलवार को, टीम ने साढ़े 9 घंटे तक अथक परिश्रम किया, जिसमें खुदाई, पत्थरों, शिलालेखों और स्तंभों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के साथ-साथ कार्बन डेटिंग जैसी प्रक्रियाओं को संपन्न किया गया।
इस वैज्ञानिक सर्वे का मुख्य उद्देश्य भोजशाला और इसके आस-पास के क्षेत्र के इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को और अधिक गहर राई समझना है। वैज्ञानिकों और इतिहासकारों का मानना है कि यह सर्वे न केवल भोजशाला के अतीत को नई रोशनी में ला सकता है, बल्कि भारतीय इतिहास के कुछ अनसुलझे पहलुओं को भी सामने ला सकता है।
खोज के इस चरण में, टीम ने विशेष रूप से पत्थरों और शिलालेखों पर ध्यान केंद्रित किया, जो भोजशाला की प्राचीनता और उसके वैज्ञानिक महत्व को रेखांकित करते हैं। इन शिलालेखों में लिखे गए संदेशों का अध्ययन करके, विद्वानों को उम्मीद है कि वे भोजशाला के इतिहास के नए पहलुओं को उजागर कर पाएंगे।
इस सर्वे की एक और महत्वपूर्ण विशेषता कार्बन डेटिंग है, जिसका उपयोग करके अवशेषों की आयु निर्धारित की जा रही है। यह प्रक्रिया भोजशाला के इतिहास को समयरेखा में सटीकता से स्थापित करने में मदद करेगी, जिससे इतिहासकारों और शोधकर्ताओं को इसकी ऐतिहासिक महत्ता को और अधिक गहराई से समझने का अवसर मिलेगा।