मुंबई: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को पार्टी में शामिल करने और उन्हें अमरावती लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। यह निर्णय महाराष्ट्र के कुछ शासक गठबंधन सहयोगियों को रास नहीं आया है, जिन्होंने इसे “लोकतंत्र की गिरावट” और “राजनीतिक आत्महत्या” के रूप में व्यक्त किया है।
नवनीत राणा, जो वर्तमान में अमरावती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं, ने बुधवार देर रात नागपुर में पार्टी के राज्य इकाई प्रमुख चंद्रशेखर बवनकुले के निवास पर अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की।
बीजेपी का रणनीतिक दांव
बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने उनका नाम अमरावती सीट के लिए पार्टी उम्मीदवार के रूप में घोषित किया, और बवनकुले ने कहा कि वह 4 अप्रैल को अपना चुनावी नामांकन दाखिल करेंगी। इस कदम से गठबंधन के भीतर मतभेद स्पष्ट होते दिखाई दे रहे हैं।
अमरावती सीट से नवनीत राणा के चुनाव लड़ने की घोषणा से कुछ गठबंधन सहयोगियों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उनका मानना है कि यह फैसला गठबंधन की एकता को कमजोर कर सकता है और विपक्षी दलों को फायदा पहुंचा सकता है।
राणा की पार्टी में शामिल होने और चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद, बीजेपी ने इसे अपनी रणनीतिक विजय के रूप में प्रस्तुत किया है। पार्टी का कहना है कि यह कदम उन्हें महाराष्ट्र में मजबूत बनाएगा और विपक्षी दलों के लिए चुनौती पेश करेगा।
इस फैसले से उत्पन्न विवाद के बावजूद, बीजेपी ने अपने रुख पर कायम रहते हुए नवनीत राणा को पूर्ण समर्थन देने का निर्णय लिया है। पार्टी के आला नेताओं का कहना है कि राणा अमरावती में उनकी जीत की कुंजी हैं।
इस प्रकार, बीजेपी के इस कदम ने न केवल गठबंधन के भीतर बल्कि राज्य की राजनीतिक गलियारों में भी एक नई बहस की शुरुआत की है। आने वाले दिनों में इसके परिणाम सामने आएंगे कि यह फैसला पार्टी और गठबंधन के लिए कितना लाभकारी सिद्ध होगा।