भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उस दिन एक असाधारण घटना घटी, जिसने भारतीय राजनीति की दिशा ही बदल दी। बैठक के अंतिम दिन, तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भाषण दिया। उनके भाषण में, जो 25 मिनट तक चला, उन्होंने सामान्य चुनावी रणनीतियों पर प्रकाश डाला और पार्टी नेताओं की विशाल हृदयता की सराहना की।
मोदी का मार्ग और RSS की भूमिका
इस बैठक में नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के निर्णय की घोषणा हुई। इस निर्णय को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी ने कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि BJP अपनी मूल दिशा भटक रही है। इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने नरेंद्र मोदी के समर्थन में मजबूती से कदम उठाया और उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पेश किया।
आडवाणी की चिंता और मोदी की उम्मीदवारी
आडवाणी की चिंताएँ उस समय के राजनीतिक परिवेश में गूंज उठीं। उनका मानना था कि पार्टी का यह कदम उसकी मूल विचारधारा से विचलित होने का प्रतीक है। इसके विपरीत, RSS का दृढ़ समर्थन पाकर, मोदी की उम्मीदवारी को नई ऊर्जा और दिशा मिली। यह निर्णय अंततः भारतीय राजनीति के नए युग की शुरुआत का संकेत बना।
भाजपा की नई दिशा और चुनौतियां
इस घटना ने न केवल पार्टी के भीतर बल्कि पूरे देश में व्यापक चर्चा और विश्लेषण को जन्म दिया। आडवाणी की आशंकाओं और RSS के समर्थन के बीच, BJP की रणनीति और नेतृत्व के संदर्भ में नई दिशा और चुनौतियाँ सामने आईं। यह निर्णय अंततः पार्टी के लिए नई संभावनाओं और चुनौतियों का द्वार खोलने वाला साबित हुआ।
निष्कर्ष: मोदी की यात्रा और राजनीतिक परिदृश्य
इस घटनाक्रम ने नरेंद्र मोदी को भारतीय राजनीति के केंद्र में ला दिया। उनकी उम्मीदवारी और बाद में प्रधानमंत्री पद पर उनकी नियुक्ति ने भारतीय राजनीति के नए युग की शुरुआत की। आडवाणी की चिंताओं और RSS के समर्थन के बीच, मोदी की उम्मीदवारी ने पार्टी और देश की राजनीतिक दिशा को नई परिभाषा दी।