कर्नाटक की राजनीति में हाल ही में एक विवादास्पद बयान ने उफान ला दिया है। कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक, शमणूर शिवशंकरप्पा ने भाजपा की महिला उम्मीदवार, गायत्री सिद्धेश्वर के क्षमता पर प्रश्न उठाते हुए उन्हें निशाना बनाया। शिवशंकरप्पा के अनुसार, सिद्धेश्वर केवल किचन में खाना बनाने की कला जानती हैं, लेकिन जनता के बीच प्रभावी भाषण देने की क्षमता उनमें नहीं है।
कर्नाटक: राजनीतिक उलझन और उम्मीदवारों की योग्यता
दावणगेरे लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहीं गायत्री सिद्धेश्वर पर यह तंज उनकी योग्यता पर सवाल उठाने के लिए किया गया। शिवशंकरप्पा का कहना है कि सिद्धेश्वर को दावणगेरे की समस्याओं की गहराई से समझ होनी चाहिए, उनका मुख्य उद्देश्य पीएम मोदी को विजयी भेंट के रूप में कमल का फूल पेश करना नहीं होना चाहिए।
विधायक के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। भाजपा ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की है और चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। इस प्रकरण ने राजनीति में महिलाओं के योगदान और उनकी योग्यता के मूल्यांकन पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
शिवशंकरप्पा के बयान के बावजूद, क्षेत्रीय विकास और समस्याओं के समाधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी जनता ने सराहा है। उनका कहना है कि उन्होंने इलाके में विकास कार्य किया है और दावणगेरे की समस्याओं का समाधान उनकी प्राथमिकता है।
इस घटनाक्रम ने कर्नाटक की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। एक ओर जहां व्यक्तिगत आलोचना को अनुचित माना जा रहा है, वहीं इसने उम्मीदवारों की योग्यता और समर्पण को मूल्यांकित करने की प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला है। राजनीति में महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान को लेकर चर्चा के नए आयाम सामने आए हैं, जो भविष्य की राजनीति में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।