भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पंजाब में अपने चुनावी पैंतरे को एक नई दिशा देते हुए, 13 लोकसभा सीटों में से 6 पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। यह कदम उनके द्वारा अपने बल पर पंजाब में चुनाव लड़ने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। विशेष रूप से, बीजेपी और अकाली दल के बीच 1996 में हुए गठजोड़ के बाद, यह पहली बार है जब बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में है।
दलबदलुओं पर दांव
इस बार बीजेपी ने अपनी पारंपरिक रणनीति में बदलाव करते हुए, दलबदलुओं और स्थानीय नेताओं पर अधिक भरोसा जताया है। जारी की गई सूची में शामिल उम्मीदवारों में से अधिकांश पहले अन्य दलों का हिस्सा थे, जो बीजेपी के लिए एक नए आयाम को दर्शाता है।
2019 के चुनावों में मात्र 3 सीटों पर लड़ने वाली बीजेपी के लिए, 13 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करना एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने 73 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें उन्हें मात्र 6.6% वोट हासिल हुए थे।
उम्मीदवारों का चयन करते समय, बीजेपी ने उन नेताओं को प्राथमिकता दी, जो पहले से ही सांसद हैं और पंजाब की राजनीति में एक बड़ा नाम रखते हैं। यह रणनीति उनके द्वारा सेलिब्रिटी उम्मीदवारों के बजाय स्थानीय नेतृत्व पर जोर देने के निर्णय को भी प्रतिबिंबित करती है।
पंजाब में बीजेपी की इस नई चुनावी रणनीति का मूल्यांकन करते हुए, यह स्पष्ट है कि पार्टी ने अपने दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। अपनी स्थापना के बाद से, बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीतियों में कई बदलाव किए हैं, लेकिन पंजाब में इस बार का चुनाव उनके लिए एक नई दिशा का संकेत देता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह रणनीतिक परिवर्तन उन्हें किस प्रकार के परिणाम प्रदान करता है।