नई दिल्ली (अप्सरा)- 1957 में, भारतीय राजनीति के एक चमकते सितारे, अटल बिहारी वाजपेयी ने बलरामपुर लोकसभा सीट से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उस समय, उन्हें लोगों की ओर से 40 हजार रुपए का चंदा मिला, जो उनकी पहली जीत की नींव साबित हुआ।
अटल जी की इस यात्रा में, हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण था। बलरामपुर के लोगों ने उनके प्रचार के लिए 1 रुपए से लेकर 2 रुपए तक का चंदा दिया। इस छोटी राशि का संग्रह उनके लिए बड़े समर्थन का प्रतीक बना। इस चुनाव में उन्होंने एक टूटी हुई जीप का उपयोग करके प्रचार किया, जो उनकी सादगी और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। अटल जी ने कांग्रेस के प्रत्याशी हैदर हुसैन को 9,812 वोटों से पराजित किया, जो उनकी महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक जीत थी।
उनकी इस जीत ने न केवल उन्हें लोकसभा के द्वार पर पहुंचाया बल्कि उन्हें भारतीय राजनीति में एक मजबूत पहचान भी प्रदान की। अटल जी ने मथुरा और लखनऊ सीटों से भी चुनाव लड़ा, लेकिन वहां विजयी नहीं हो पाए। फिर भी, बलरामपुर की जीत उनके राजनीतिक करियर का महत्वपूर्ण क्षण रही। अटल जी के इस प्रारंभिक संघर्ष ने उन्हें जनता के बीच एक विश्वसनीय और समर्पित नेता के रूप में स्थापित किया। उनकी यह जीत उनके लंबे और उज्ज्वल राजनीतिक करियर की शुरुआत थी, जिसमें उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार सेवा की।
इस ऐतिहासिक जीत की कहानी ने यह दिखाया कि किस तरह छोटी-छोटी राशियों का योगदान भी बड़े परिवर्तन की ओर ले जा सकता है। अटल जी का यह चुनावी सफर आज भी उनके समर्थकों और अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।