सीवान (नेहा): जो कभी बिहार की राजनीतिक गर्माहट का केंद्र था, आज उसी स्थल पर राजनीतिक समीकरणों में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है। विशेष रूप से, जब हम बात करते हैं शहाबुद्दीन, एक नाम जो कभी आरजेडी के समर्थन की प्रतीक था, आज उसी दल को सीवान में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जो कभी सीवान में अपराजेय मानी जाती थी, आज नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) से पीछे छूट गई है। एनडीए के आगे बढ़ने का संकेत उस समय मिला, जब जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने अपने उम्मीदवार विजय लक्ष्मी कुशवाहा को घोषित कर दिया, जबकि आरजेडी अभी तक अपने प्रत्याशी का चुनाव तय नहीं कर पाई है। इस परिस्थिति ने सीवान की राजनीतिक दिशा में एक नई करवट लाई है। वहीं सीवान, जो लोकसभा चुनावों के दौरान देश की सबसे चर्चित सीटों में गिनी जाती थी, अब एक नए राजनीतिक परिदृश्य का साक्षी बन रहा है।
आरजेडी के लिए यह समय किसी परीक्षा से कम नहीं है। एक ओर जहां उन्हें अपने घोषित उम्मीदवार को चुनने में कठिनाई हो रही है, वहीं दूसरी ओर एनडीए की स्थिति मजबूत होती जा रही है। सीवान की राजनीतिक भूमिका ने इस क्षेत्रीय दल के समक्ष एक बड़ी चुनौती पेश की है। इस बदलाव की एक मुख्य वजह बाहुबली शहाबुद्दीन का जाना भी है, जिनके नाम पर आरजेडी ने कई बार विजय हासिल की थी। उनके जाने के बाद से आरजेडी को अपनी पकड़ मजबूत करने में कठिनाई हो रही है।