उदयपुर: पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि बदलते समय में संयुक्त परिवार की परंपरा लगभग समाप्त हो गई है और लोगों को इस पर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज के युग में, पारिवारिक विघटन और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति की अभिलाषा में वृद्धि के कारण, परिवार के युवा अक्सर परिवार के बुजुर्ग माता-पिता को अकेला छोड़ देते हैं और रोजगार और वित्तीय लाभ की तलाश में चले जाते हैं।
संयुक्त परिवार का अवसान
उन्होंने आगे बताया कि घर में बुजुर्गों का अकेले रहना एक अन्य कारण यह है कि पहले हमारे देश में संयुक्त परिवार की परंपरा हुआ करती थी। लेकिन समय के साथ-साथ यह परंपरा लगभग समाप्त हो गई। उन्होंने कहा कि हमें इस पर मंथन करने की आवश्यकता है। इस बदलाव के साथ, समाज में बहुत बड़े परिवर्तन देखे जा रहे हैं। पारिवारिक संबंधों का स्वरूप बदल रहा है, और इसका प्रभाव समाज के हर कोने पर पड़ रहा है।
पारिवारिक व्यवस्था में यह बदलाव समाज में नए चुनौतियां प्रस्तुत करता है। एक समय था जब संयुक्त परिवार की प्रणाली समाज की रीढ़ हुआ करती थी, जिसमें सभी सदस्य एक-दूसरे का सहयोग करते थे। लेकिन अब, जैसा कि आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण ने हमारी जीवनशैली को प्रभावित किया है, पारिवारिक संरचनाओं में भी बदलाव आया है।
यह बदलाव न केवल भारतीय समाज में, बल्कि विश्वभर के समाजों में भी देखा जा रहा है। आधुनिकीकरण की चुनौतियों और अवसरों के साथ, पारिवारिक संबंधों का यह परिवर्तन एक नई सोच की मांग करता है।
इसलिए, यह समय है कि हम सभी मिलकर संयुक्त परिवार की परंपरा के महत्व को पुनः परिभाषित करें। हमें एक ऐसे समाज की ओर कदम बढ़ाना चाहिए, जहां परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के साथ मिलकर चुनौतियों का सामना करें, और एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल हों। ऐसे समाज में, बुजुर्गों का सम्मान और उनके प्रति देखभाल का भाव हमेशा बना रहेगा, और यही संयुक्त परिवार की सच्ची भावना है।