दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री, को पद से हटाने की मांग करते हुए दायर की गई तीसरी याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका AAP के पूर्व विधायक संदीप कुमार द्वारा लगाई गई थी।
केजरीवाल पर लगाए गए आरोप
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के चलते केजरीवाल मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य नहीं हैं। इस आरोप को लेकर उन्होंने न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इस बारे में स्पष्ट किया कि उपराज्यपाल को इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस दृष्टिकोण को नकारते हुए यह भी कहा कि यह मामला जेम्स बॉन्ड फिल्म की तरह नहीं है जिसका बार-बार सीक्वल बनाया जाए। कोर्ट ने इस बात पर बल दिया कि राजनीतिक मामलों में उनका कोई रुचि नहीं है और याचिकाकर्ता द्वारा इसे बार-बार कोर्ट में लाना सिस्टम का मजाक बनाना है।
जुर्माने का प्रावधान
कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाकर एक स्पष्ट संदेश दिया कि ऐसी याचिकाओं को रोकने के लिए यही एकमात्र तरीका है। इसके साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे राजनीतिक मुद्दों पर कोर्ट में चर्चा न करें और अपने विचार सड़क पर जाकर व्यक्त करें।
इस मामले में कोर्ट की प्रतिक्रिया ने यह दिखाया कि न्यायिक प्रक्रिया का उपयोग व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जा सकता। यह घटना न्यायिक प्रणाली की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के महत्व को भी रेखांकित करती है।