नई दिल्ली (अप्सरा)- ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव का असर विश्व तेल बाजारों पर दिखाई पड़ने लगा है। इजराइल द्वारा सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमले के बाद ईरान ने इजराइल पर 300 मिसाइलों के साथ प्रतिक्रिया दी। यह घटनाक्रम तेल की कीमतों पर गहरा असर डाल सकता है, खासकर जब मिडिल ईस्ट से वैश्विक तेल सप्लाई का बड़ा हिस्सा आता है।
होर्मुज और स्वेज के महत्वपूर्ण जलमार्गों पर ईरानी मिसाइलों की तैनाती ने जहाजरानी के लिए खतरा बढ़ा दिया है। ईरान ने ओमान की खाड़ी में एक जहाज पर कब्जा कर लिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में चिंता की लहर दौड़ गई। इस क्षेत्र से प्रतिदिन 5.5 मिलियन बैरल से ज्यादा क्रूड ऑयल का परिवहन होता है, जिसमें किसी भी तरह की बाधा तेल की आपूर्ति और कीमतों को प्रभावित करेगी। यदि इस क्षेत्र से तेल आपूर्ति में व्यवधान आता है, तो क्रूड ऑयल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। वित्तीय वर्ष 2023 में भारत ने अपनी 65% क्रूड ऑयल जरूरतें स्वेज नहर के माध्यम से पूरी की थीं, जिसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर पड़ सकता है।
अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ का मानना है कि अगर तनाव जारी रहता है, तो तेल की कीमतें आने वाले समय में और बढ़ सकती हैं। नरेंद्र तनेता, एनर्जी पॉलिसी और जियोपॉलिटिक्स एक्सपर्ट के अनुसार, “तेल एक राजनीतिक कमोडिटी है और इसकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय राजनीति से गहराई से जुड़ी हुई हैं।