दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) (हेमा) : दार्जिलिंग में नए राजनीतिक समीकरण के बीच, एक अलग गोरखालैंड राज्य की मांग एक बार फिर से केंद्र में आ गई है। यहां की राजनीतिक पार्टियों का भाग्य अब इस मुद्दे के स्थायी राजनीतिक समाधान के वादे पर टिका हुआ है।
पिछले सभी चुनावों में गोरखालैंड की मांग 2014 तक प्रमुख मुद्दा रही, लेकिन 2019 के मतदान में यह मुद्दा पीछे छूट गया। उस समय स्थानीय जीजेएम और जीएनएलएफ सहित पार्टियों ने क्षेत्र में विकास और लोकतंत्र की बहाली पर जोर दिया। पहाड़ी इलाकों में राजनीति ने पिछले छह वर्षों में कई बदलाव देखे हैं। नई राजनीतिक संरचनाओं और समीकरणों ने इस क्षेत्र की राजनीतिक दिशा को नया रूप दिया है। गोरखालैंड की मांग अब फिर से उभर कर सामने आ रही है, जिसे लेकर विभिन्न पार्टियाँ अपने वादों की भूमिका निभा रही हैं।
गोरखालैंड के लिए एक स्थायी राजनीतिक समाधान का वादा करने वाली पार्टियां अपनी चुनावी सफलता को सुनिश्चित करने के लिए इसे मुख्य अभियान बना रही हैं। इस मुद्दे को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने पक्ष में जन समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।