रांची में आज होने वाली विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A ब्लॉक की रैली ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। इस रैली में 28 दलों के नेता हिस्सा लेंगे, जिसे ‘उलगुलान रैली’ का नाम दिया गया है। इस आयोजन को लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है।
उलगुलान रैली: एक नजर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, और अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल समेत कई विख्यात नेताओं की उपस्थिति इस रैली को खास बना रही है। राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव भी इस रैली का हिस्सा होंगे, जो विपक्षी दलों के बीच एकता का प्रतीक बन चुकी है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रैली दोपहर दो बजे शुरू होगी, जिसमें राहुल गांधी दोपहर तीन बजे के करीब मंच पर पहुँचेंगे। यह रैली विपक्षी दलों की एकता और सहयोग का महत्वपूर्ण प्रदर्शन है।
रांची के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस रैली के बारे में कुछ कड़वे शब्द कहे हैं। उन्होंने इसे देश विरोधी और सनातन विरोधी लोगों का जमावड़ा बताया है। मरांडी का कहना है कि रैली में शामिल होने वाले कुछ लोगों ने झारखंड को बेचने और खरीदने का काम किया है।
इससे पहले 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई ‘लोकतंत्र बचाओ महारैली’ में भी I.N.D.I.A. ब्लॉक ने अपनी मजबूती और संगठित उपस्थिति दिखाई थी। यह रैली लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन की पहली बड़ी रैली थी और इसने राजनीतिक माहौल में गहरा असर डाला था।
लोकसभा चुनावों की आहट के बीच, विपक्षी दलों का यह संगम उनकी सामूहिक रणनीति और आपसी समन्वय का परिचायक है। रांची में इस बड़े आयोजन के माध्यम से वे जनता के समक्ष अपने विजन और नीतियों को प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे। इस रैली में विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के नेता एक साथ आकर एक वृहत्तर राजनीतिक तालमेल बिठाने की कोशिश करेंगे।
रैली में उम्मीद है कि विपक्षी दलों के नेता भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय सरकार की नीतियों की आलोचना करेंगे और अपने वैकल्पिक एजेंडे को प्रमुखता से रखेंगे। इस रैली के माध्यम से वे देश की वर्तमान चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने का प्रयत्न करेंगे, जिसमें आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, और सामाजिक न्याय शामिल हैं।
रांची के निवासी भी इस रैली को लेकर उत्साहित हैं। शहर के मुख्य मार्गों और चौराहों पर विशाल होर्डिंग्स और बैनर लगाए गए हैं। आयोजन स्थल पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है और पुलिस बल की विशेष टीमों को तैनात किया गया है ताकि सभी प्रकार की अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके।
इस रैली का असर न सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे देश की राजनीति पर पड़ने वाला है। विपक्षी दलों के इस गठबंधन के जरिए जनता के बीच उनकी एकजुटता और सामूहिक नीतियों का संदेश पहुंचाना है, जो आगामी चुनावों में उनकी संभावनाओं को बढ़ा सकता है। विपक्ष के इस प्रयास को कितना समर्थन मिलता है और यह राजनीतिक परिवर्तन के रूप में कैसे तब्दील होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
रांची में आज बड़ी रैली, I.N.D.I.A ब्लॉक ने बुलाई 28 पार्टियों को
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