नई दिल्ली (उपासना)- दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उनके सामने एक शर्त रखी है। कोर्ट ने कहा कि हम आपको अंतरिम जमानत देते हैं तो आप अधिकारिक काम नहीं करेंगे।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ”हम साफ कर देना चाहते हैं कि अगर आपको (केजरीवाल) अंतरिम जमानत देते हैं तो आप कोई भी अधिकारिक काम नहीं करेंगे।” सुप्रीम कोर्ट की शर्त पर आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं वचन दे सकता हूं कि वो (केजरीवाल) किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे।
सिंघवी की दलील पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल बिना विभाग के सीएम हैं और इनके साइन करने का मतलब नहीं। इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल हर रोज दस फाइल पर साइन करते हैं। सिंघवी ने कहा कि दिल्ली में 25 मई को और पंजाब में 1 जून को इलेक्शन है। कोर्ट ने कुछ समय सुनवाई के बाद इस बात को समझा है कि केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं है। केजरीवाल पर कोई ऐसा गंभीर आरोप नहीं कि रिहा करना गलत होगा।
सिंघवी ने आगे कहा कि पहले भी ऐसा हुआ है कि जमानत पर बाहर आए व्यक्ति को राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने दिया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के दौरान भी केजरीवाल सीएम थे और ऐसे में उन्हें काम से रोकन काफी अपमानजनक होगा। सिंघवी ने सवाल किया कि इससे क्या जनहित होगा? इसको लेकर जजों ने कहा कि निश्चित रूप से इससे जनहित जुड़ा है। हम इसकी इजाजत नहीं दे सकेंगे। सिंघवी ने कहा कि मतलब ऐसा सीएम जिसको सरकार चलाने का अधिकार नहीं? फिर जस्टिस खन्ना ने कहा कि आप इसे जैसे भी देखें।