नई दिल्ली (राघव): केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल का आयात घटाने के लिए इथेनॉल को लगातार बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। अभी इथेनॉल के उत्पादन के लिए ज्यादातर गन्ने का इस्तेमाल होता है। लेकिन, अगर इथेनॉल के प्रोडक्शन को बड़े पैमाने पर बढ़ाया गया, तो गन्ने की सप्लाई का मसला आ सकता है। यही वजह है कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने चीनी मिलों से कहा कि वे इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने का विकल्प तलाशें। राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखानों के महासंघ (NFCSF) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने यह भी कहा कि भारत 2030 की तय सीमा से काफी पहले ही 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
अमित शाह ने इथेनॉल मिश्रण के फायदों पर काफी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे कच्चे तेल के आयात का बोझ कम होगा। साथ ही, पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने में भी मदद मिलेगी। इथेनॉल कई स्रोतों से बनाया जा सकता है। आपको अवसरों के मुताबिक विस्तार करने की जरूरत है। हमें मिश्रण के लिए करीब 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत है। ऐसे में चीनी मिलों को चाहिए कि वे अपना ‘रूढ़िवादी’ नजरिया छोड़ें और इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का और बांस जैसे विकल्पों को भी आजमाएं।
सहकारिता मंत्री अमित शाह का कहना है कि देश में पर्याप्त इथेनॉल उत्पादन के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर भी मौजूदा है। उन्होंने कहा कि इथेनॉल मिश्रण का भविष्य काफी उज्जवल है। अगर इस दिशा में बेहतर तरीके से काम किया गया, तो निर्यात के अवसर भी खुल जाएंगे। इसलिए चीनी मिलों को आधुनिकीकरण और नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत है।