बांदा (किरण): सात साल की सजा काटकर आए जिस भतीजे को चाचा ने अपनी लाइसेंसी दो नाली बंदूक से गोली मारकर हत्या की थी। उसके व चाचा के बीच महज एक बोतल शराब के रुपयों को लेकर विवाद हुआ था। एसओजी समेत पुलिस की तीन टीमें फरार हत्यारोपित चाचा को पकड़ने के लिए दबिश दे रही हैं। हालांकि अभी तक पुलिस अधिकारियों ने उसकी गिरफ्तारी होने की पुष्टि नहीं की है। कमासिन थाना के तिलौसा गांव निवासी विजय नारायण का पुत्र जितेंद्र उर्फ साधू अपनी पत्नी की दहेज हत्या के मामले में सात साल की सजा काटकर फरवरी माह में जेल से छूटा था।
रविवार देर शाम वह अपनी पान-मसाला की दुकान में बैठा था। तभी उसके चाचा देवीचरण ने विवाद होने पर घर से बंदूक लाकर सीने में गोली मार दी थी। जिससे मौके पर उसकी मौत हो गई थी। फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य संकलित किया था। दिवंगत के पिता ने तहरीर देकर फरार हत्यारोपित अपने भाई के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। पिता ने बताया कि दोनों शराब व गांजा साथ में बैठकर पीते रहे हैं। उनके बीच में कभी कोई विवाद नहीं होता था। घटना के समय हत्यारोपित देवीचरण खेत से ट्रैक्टर लेकर घर आया था। नशेबाजी में कहासुनी होने पर उसने घटना की है।
जबकि गांव के लोगों ने पुलिस को बताया कि चाचा के दुकान पहुंचने पर जितेंद्र ने उनसे शराब की बोतल मंगवाने के लिए रुपये देने के लिए कहा था। जिसमें चाचा ने रुपये देने से मना कर दिया था। जबकि जितेंद्र का कहना था कि इसके पहले उसने रुपये दिए थे। इस बार उनको देना पड़ेगा। इसी बात को लेकर दोनों में विवाद इतना बढ़ गया है। कि चाचा ने तैस में आकर वारदात को अंजाम दे डाला था। घटना करने के पहले खेत से घर आते समय भी हत्यारोपित ने रास्ते में गांव के ठेके के पास शराब भी पी थी। इससे वह नशे में था। हत्या की घटना के बाद दिवंगत के घर के बाहर व हत्यारोपित के घर के पास पुलिस तैनात की गई है। हर आने जाने वाले पर पुलिस नजर रख रही है। हत्या की घटना के बाद दिवंगत के घर के बाहर व हत्यारोपित के घर के पास पुलिस तैनात की गई है। हर आने जाने वाले पर पुलिस नजर रख रही है।
दिवंगत के पिता ने बताया कि जितेंद्र के दो बेटे हैं। इसमें एक बेटा रामजी शहर के परशुराम तालाब ननिहाल में रहता है जबकि दूसरा बेटा श्यामजी उनके साथ रहता है। दोनों बेटे कक्षा आठ के छात्र हैं। जिस समय बेटे को गोली मारी गई है। सटा के मारने की वजह से उन्हें गोली लगने की आवाज सुनाई नहीं दी थी। हत्यारोपित के पुत्रों ने आकर उन्हें घटना की जानकारी दी थी। घटना के समय गांव के तीन युवक और वहां मौजूद थे। लेकिन हत्या होते ही वह मौके से भाग खड़े हुए हैं।
दिवंगत जितेंद्र के पिता ने बताया कि 2016 में उसकी पत्नी संगीता की जहर खाने से मौत हो गई थी। जिसमें उसके मायके पक्ष ने दहेज हत्या का मुकदमा जितेंद्र उसके भाई महेंद्र व उनके विरुद्ध दर्ज कराया था। जितेंद्र की जेल जाने के बाद कभी जमानत नहीं हुई थी। वह जेल में कैंटीन में काम करता था। जेल में नेक चलन के चलते उसकी आठ माह की सजा माफ हो गई थी। इससे घटना के करीब आठ माह पहले फरवरी माह में उसे जेल से छोड़ा गया था। जबकि भाई महेंद्र व वह खुद हाईकोर्ट से जमानत पर हैं। मुकदमे की पैरवी में जितेंद्र की चार बीघा व उनकी दस बीघा जमीन गिरवी रख चुकी है। जमीन गिरवी रखने में 60 हजार रुपये बीघा के हिसाब से उन्हें रुपये मिले थे।