काठमांडू (राघव): नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सत्ता संभालते ही भारत के क्षेत्र पर फिर दावा ठोका है। उन्होंने कहा है कि लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख सहित महाकाली नदी के पूर्व के इलाके नेपाल के हैं। हालांकि भारत के साथ सीमा मुद्दों को कूटनीति के माध्यम से सुलझाने की प्रतिबद्धता भी जताई है। गौरतलब है कि ओली पहले भी भारतीय इलाकों पर दावा ठोकते रहे हैं। नेपाल के दावों को भारत सिरे से खारिज कर चुका है। ओली ने 15 जुलाई को नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करने के एक दिन बाद सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए ओली ने सोमवार को कहा, काठमांडू अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा के बारे में ”स्पष्ट और दृढ़” है।
ओली ने कहा कि 1816 की सुगौली संधि के अनुसार लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख सहित महाकाली नदी के पूर्व में स्थित क्षेत्र नेपाल के हैं, हालांकि ओली ने कहा कि नेपाल भारत के साथ सीमा मुद्दों को कूटनीति के माध्यम से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि नेपाल ने एक नया नक्शा अपनाया है जिसे 2017 में संविधान में दूसरे संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है हमारी अंतरराष्ट्रीय सीमा के बारे में राष्ट्रीय सहमति है। ओली ने कहा, नेपाल और भारत के प्रधानमंत्रियों के बीच उच्च स्तरीय यात्राओं के दौरान हुई मुलाकातों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तंत्र के माध्यम से सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए सहमति बनी है।
नेपाल-भारत सीमा से संबंधित मुद्दों पर चार जनवरी को आयोजित 7वीं नेपाल-भारत विदेश मंत्री स्तरीय संयुक्त आयोग की बैठक के दौरान भी चर्चा की गई। वर्ष 2020 में काठमांडू द्वारा एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित करने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था। इसमें तीन भारतीय क्षेत्रों लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था। भारत ने नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को सिरे से खारिज कर दिया था।